पूर्वांचल में पहली बार होगा भव्य ‘लिटरेचर फेस्टिवल 2025’, गाजीपुर और वाराणसी में जुटेंगे देश-विदेश के नामचीन साहित्यकार

Report By: आसिफ़ अंसारी
गाजीपुर : पूर्वांचल की धरती पर इस नवंबर एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है। 7 से 9 नवंबर तक ‘लिटरेचर फेस्टिवल 2025’ का भव्य आयोजन किया जाएगा, जो भारत एक्सप्रेस और भारत डायलॉग्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होगा। यह महोत्सव पूर्वांचल का अब तक का सबसे बड़ा साहित्य और कला समारोह माना जा रहा है।
भारत डायलॉग्स के सह-संस्थापक और फेस्टिवल के निदेशक विवेक सत्यमित्रम् ने बताया कि इस तीन दिवसीय आयोजन का उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक जड़ों, साहित्यिक चेतना और लोक कला की समृद्ध परंपरा को नई पहचान देना है। महोत्सव का पहला दिन यानी 7 नवंबर वाराणसी के होटल दी क्लार्क्स में आयोजित होगा, जबकि 8 और 9 नवंबर को कार्यक्रम गाजीपुर के होटल नंद रेजिडेंसी और ऐतिहासिक रामलीला मैदान, लंका में संपन्न होगा।
“जड़ों की ओर” विषय पर केंद्रित यह फेस्टिवल देश-विदेश के नामचीन वक्ताओं, लेखकों, कवियों, गायकों, कलाकारों और विचारकों को एक मंच पर लाएगा। भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय और भारत डायलॉग्स की सह-संस्थापक पूजा प्रियंवदा भी इस आयोजन में शामिल रहेंगी।
आयोजकों ने बताया कि फेस्टिवल का भव्य उद्घाटन समारोह 7 नवंबर को वाराणसी में होगा, जहां दक्षिण अफ्रीका, फिजी, सूरीनाम, मॉरीशस, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के गिरमिटिया समाज पर चर्चा की जाएगी। इसमें उनके इतिहास, वर्तमान, सांस्कृतिक संबंधों और भारत के साथ उनके जुड़ाव पर विचार-विमर्श होगा। इस दौरान विभिन्न देशों के राजनयिक, इतिहासकार, शिक्षाविद और वरिष्ठ पत्रकार भी भाग लेंगे।
गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल में देश-विदेश के लगभग 200 से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यकार, कलाकार, अभिनेता, संगीतकार, राजनयिक, भाषाविद, इतिहासकार और सिनेमा व लोककला से जुड़े दिग्गज हिस्सा लेंगे। आयोजकों का कहना है कि यह आयोजन न केवल साहित्य और संस्कृति का उत्सव होगा, बल्कि पूर्वांचल की पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का भी प्रयास है।
भारत डायलॉग्स टीम का कहना है कि गाजीपुर सदियों से साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र रहा है। यह फेस्टिवल गाजीपुर के उन गौरवशाली नामों को सामने लाएगा जो अब तक हाशिए पर रहे हैं। इस महोत्सव के माध्यम से स्वामी सहजानंद सरस्वती, कुबेर नाथ राय, राही मासूम रज़ा, डॉ. विवेकी राय, नज़ीर हुसैन और विश्वनाथ सिंह गहमरी जैसी विभूतियों की विरासत को सम्मानित किया जाएगा।
रामलीला मैदान लंका में इस अवसर पर छह विशेष प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी, जिनमें साहित्य, कला, इतिहास और गिरमिटिया संस्कृति से जुड़े पहलुओं को प्रदर्शित किया जाएगा।
यह फेस्टिवल पूर्वांचल के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनने जा रहा है, जो न केवल साहित्य प्रेमियों को आकर्षित करेगा बल्कि युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा भी देगा।





