खोदकला में हज़रत बैरंग शाह के उर्स का दूसरा दिन: दरगाह पर उमड़ी आस्था की लहर, जायरीन ने चादरपोशी कर मांगी दुआएं (Urs Celebration in Khodkala)

Report By : राहुल मौर्य

मसवासी (रामपुर) क्षेत्र के खोदकला में आयोजित हज़रत बैरंग शाह के सालाना उर्स (Annual Urs) का दूसरा दिन पूरी तरह आस्था, श्रृ़द्धा और रूहानी माहौल (Spiritual Atmosphere) में डूबा रहा। शुक्रवार की नमाज़ के बाद से ही दरगाह परिसर में जायरीन (Devotees) का तांता लगा रहा। दूर-दराज के इलाकों से आने वाले अकीदतमंदों (Faithful Followers) ने दरगाह पर हाजिरी देकर मन्नतें (Vows) मांगी और चादरपोशी (Chadar Offering) की। इस मौके पर दरगाह परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था, जिसकी खूबसूरती लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही।

जुम्मे की नमाज़ (Friday Prayer) अदा होने के तुरंत बाद सज्जादनशीन हबीब शाह मियां (Sajjadanashin Habib Shah Miya) की अगुवाई में चादर पेश करने की रस्म अदा की गई। उलेमा-ए-इकराम (Islamic Scholars) ने नात-ख्वानी (Naat Recitation) के बीच दरगाह पर चादर चढ़ाई और मुल्क व कौम की तरक्की, अमन-ओ-चैन (Peace & Prosperity) और खुशहाली के लिए दुआएं मांगी। दरगाह परिसर में लगातार नातिया कलाम (Naat Verses) का दौर जारी रहा, जिसने पूरे माहौल को रूहानी रंग (Sufi Aura) में सराबोर कर दिया।

उलेमा इकराम ने जलसे (Religious Gathering) को खिताब (Address) करते हुए वलियों की जिंदगी (Life of Saints) से सबक लेने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों की तालीमात इंसान को इंसानियत, मोहब्बत, अमन और एकता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती हैं। उर्स के मौके पर आयोजित यह जलसा लोगों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन (Spiritual Guidance) का संदेश लेकर आया।

खोदकला में उर्स का दूसरा दिन सिर्फ धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मेले (Fair) का भी खासा आकर्षण देखने को मिला। दूर-दराज से पहुंचे लोग मेले में लगे विभिन्न स्टॉलों पर खरीदारों (Shoppers) की भीड़ देखी गई। महिलाओं ने मीना बाज़ार (Meena Bazaar) में खरीदारी का लुत्फ उठाया, जहां चूड़ियों, इत्र, सजावटी सामान, पारंपरिक कपड़ों और बच्चों के लिए विभिन्न वस्तुओं के स्टॉल सजे हुए थे। वहीं बच्चे झूलों (Swings), सर्कस (Circus Shows) और अन्य मनोरंजक गतिविधियों (Entertainment Activities) का आनंद लेते नजर आए। मेले में स्थानीय व्यापारियों और कारीगरों के स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र बने रहे, जिससे उन्हें अच्छा व्यापार मिला।

उर्स के इस पावन मौके (Holy Occasion) पर दरगाह को दुल्हन की तरह सजाया गया था। रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और चादरों से सजा दरबार अपनी रौनक (Decoration Glory) से हर आने वाले की नजरों को खींच रहा था। सुरक्षा व्यवस्था (Security Arrangements) को भी प्रशासन की ओर से मजबूत किया गया था, जिससे पूरे कार्यक्रम में शांति और अनुशासन बना रहा।

उर्स के दौरान दरगाह पर आने वाले जायरीन की भीड़ (Footfall of Devotees) लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार के दिन की यह विशेष भीड़ यह दर्शाती है कि हज़रत बैरंग शाह के चाहने वालों में कितनी अटूट आस्था (Unwavering Faith) है। हर व्यक्ति अपनी-अपनी मुराद लेकर दरगाह पर पहुंचा और रूहानी सुकून पाते हुए वापस लौटा। आयोजन समिति (Organizing Committee) की ओर से आने वाले सभी जायरीन के लिए खाने-पीने, आराम और व्यवस्था से संबंधित सभी इंतजाम किए गए थे, जिससे किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

हज़रत बैरंग शाह का यह उर्स सिर्फ एक धार्मिक आयोजन (Religious Event) नहीं, बल्कि सामाजिक एकता (Social Harmony), आपसी भाईचारे (Communal Harmony) और इंसानी मोहब्बत (Human Love) का भी प्रतीक है। हर तबके से लोग यहां पहुंचकर यह संदेश देते हैं कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब (Ganga-Jamuni Culture) आज भी उसी तरह कायम है जैसी सदियों पहले थी।

उर्स का यह रूहानी मेला (Spiritual Fair) आने वाले दिनों में भी इसी तरह जारी रहेगा, और जायरीन का सिलसिला लगातार बढ़ने की उम्मीद है। दरगाह की रौनक और श्रद्धालुओं का उत्साह इस बात का सबूत है कि खोदकला का यह उर्स उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है और हर वर्ष लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

Mukesh Kumar

मुकेश कुमार पिछले 3 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने सर्वप्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सशक्त प्रदेश, साधना एमपी/सीजी टीवी मीडिया में संवाददाता के पद पर कार्य किया है, वर्तमान में कर्मक्षेत्र टीवी वेबसाईट में न्यूज इनपुट डेस्क पर कार्य कर रहे है !

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