साइबर अपराध पर योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई: 84 हजार से अधिक पुलिसकर्मी प्रशिक्षित, प्रदेश में मजबूत हुआ साइबर सिक्योरिटी नेटवर्क

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन गतिविधियों के तेजी से बढ़ते दायरे के बीच साइबर अपराध (Cyber Crime) आज एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया है। आम नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा और ऑनलाइन विश्वास को मजबूत करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार ठोस और दूरगामी कदम उठा रही है। इसी क्रम में साइबर अपराध प्रशिक्षण पोर्टल (Cyber Crime Training Portal) के माध्यम से अब तक 84,705 से अधिक पुलिस कर्मियों को प्रमाणित प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। इस पहल से प्रदेश की पुलिस को तकनीकी रूप से अधिक सक्षम और साइबर अपराधों से निपटने में दक्ष बनाया गया है।
विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में योगी सरकार ने साइबर ठगी और हाईटेक अपराधों पर नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। सरकार ने स्पष्ट किया कि डिजिटल युग में अपराध के स्वरूप में आए बदलाव को देखते हुए पुलिस बल का तकनीकी सशक्तिकरण आवश्यक है। इसी सोच के तहत साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security) को शासन की प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है और प्रशिक्षण से लेकर संरचना तक व्यापक सुधार किए गए हैं।
सरकार के अनुसार, वर्ष 2017 से पूर्व उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध से निपटने के लिए केवल दो साइबर क्राइम थाने कार्यरत थे, जिनमें एक लखनऊ और दूसरा गौतमबुद्धनगर में स्थित था। बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए योगी सरकार ने चरणबद्ध तरीके से साइबर अपराध नियंत्रण के ढांचे (Cyber Crime Control Framework) को मजबूत करने की रणनीति अपनाई। इसके तहत 6 फरवरी 2020 को प्रदेश में 16 परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गई, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर साइबर अपराधों की जांच और नियंत्रण को गति मिली।
इसके बाद 14 दिसंबर 2023 को एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 57 जनपदीय साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गई। इसके साथ ही प्रदेश के प्रत्येक जनपद में साइबर अपराध से निपटने के लिए विशेष साइबर सेल (Cyber Cell) का गठन किया गया, जहां प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की गई है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में कुल 75 साइबर क्राइम थाने संचालित हो रहे हैं और हर जनपदीय थाने में साइबर सेल सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।
योगी सरकार ने केवल ढांचागत विस्तार तक ही सीमित न रहते हुए पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण पर भी विशेष जोर दिया है। साइबर क्राइम प्रशिक्षण पोर्टल के माध्यम से पुलिसकर्मियों को ऑनलाइन फ्रॉड, डिजिटल ठगी, सोशल मीडिया अपराध, बैंकिंग फ्रॉड, डेटा चोरी और अन्य हाईटेक अपराधों की जांच और रोकथाम का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे पुलिस बल की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और साइबर अपराधों पर त्वरित कार्रवाई संभव हो सकी है।
इसके साथ ही सरकार ने आम नागरिकों को साइबर अपराधों से बचाने के लिए बड़े स्तर पर जन-जागरूकता अभियान (Cyber Awareness Campaign) भी चलाए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक प्रदेश में 65,966 सार्वजनिक स्थानों पर साइबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को ऑनलाइन ठगी, फर्जी कॉल, लिंक फ्रॉड और डिजिटल सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
साइबर अपराध की त्वरित शिकायत और पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 को और अधिक सशक्त किया गया है। सरकार ने इसकी क्षमता 20 सीटों से बढ़ाकर 50 सीट कर दी है, जिससे यह हेल्पलाइन अब 24×7 (Round the Clock) पूरी तरह क्रियाशील है। इससे साइबर ठगी के मामलों में त्वरित रिपोर्टिंग और समय रहते धन को फ्रीज कराने में मदद मिल रही है।
योगी सरकार का मानना है कि प्रशिक्षित पुलिस बल, मजबूत साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यापक जन-जागरूकता ही साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण की कुंजी है। सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों से उत्तर प्रदेश में साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में निरंतर प्रगति हो रही है और डिजिटल युग में नागरिकों का भरोसा मजबूत हो रहा है।





