मसवासी में तेंदुए के हमले का मामल जांच को पहुंचे वन विभाग का ग्रामीणों ने किया विरोध, अधिकारियों पर लीपापोती के आरोप

Report By : राहुल मौर्य
मसवासी रामपुर : मसवासी चौकी क्षेत्र के बिजारखाता गांव में तेंदुए (Leopard) के हमले में घायल हुए पूर्व उपप्रधान के घर जांच के लिए पहुंची वन विभाग (Forest Department) की टीम का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। इस दौरान गांव में काफी देर तक हंगामा (Protest) होता रहा और नाराज ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई। मामला उस समय और गंभीर हो गया जब आरोप लगे कि वन विभाग की टीम ने बिना किसी पूर्व सूचना (Without Intimation) के घर में प्रवेश किया और घटना को दबाने की कोशिश की।
जानकारी के अनुसार, बीते मंगलवार की रात्रि बिजारखाता गांव के आबादी क्षेत्र (Residential Area) में तेंदुआ घुस आया था। तेंदुए ने पूर्व उपप्रधान जफर अली के घर में घुसकर उन पर हमला कर दिया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। परिजनों द्वारा घायल को प्राथमिक उपचार (First Aid) देने के बाद स्थानीय अस्पताल (Local Hospital) में इलाज कराया गया। घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल बन गया और ग्रामीणों ने तत्काल वन विभाग को सूचना दी।
ग्रामीणों का आरोप है कि सूचना मिलने के बावजूद वन विभाग की टीम ने समय रहते मौके पर पहुंचकर तेंदुए के पदचिह्न (Pugmarks) तलाशने या घटनास्थल की गहन जांच करने की कोई कोशिश नहीं की। इससे ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती चली गई। दो दिन बाद शुक्रवार की दोपहर वन विभाग की टीम जांच के नाम पर पूर्व उपप्रधान के घर पहुंची, लेकिन इस दौरान टीम के रवैये को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
परिजनों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी बिना किसी आवाज दिए घर के अंदर प्रवेश कर गए, जिससे परिवारजन भड़क उठे। पूर्व उपप्रधान के पुत्र ने इसका कड़ा विरोध (Strong Objection) किया और अधिकारियों से जवाब-तलब किया। आरोप है कि वन विभाग की टीम ने परिवार पर दबाव बनाकर यह लिखवाया कि रात के अंधेरे में किसी अनजान जंगली जानवर (Unknown Wild Animal) ने हमला किया है, जबकि ग्रामीण इसे तेंदुए का हमला मान रहे हैं। इस समय घायल पूर्व उपप्रधान घर पर मौजूद नहीं थे।
कुछ देर बाद जब पूर्व उपप्रधान जफर अली घर पहुंचे, तो उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को अपनी पूरी आपबीती सुनाई। इसके बावजूद वन रेंजर सुरेश चंद जोशी पर आरोप लगा कि उन्होंने मामले में लीपापोती (Cover Up) करने के उद्देश्य से एक सामान्य बयान लिखवा लिया, जिसमें तेंदुए की स्पष्ट पहचान नहीं होने की बात कही गई। इस दौरान वन दरोगा कुलबीर सिंह को भी ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा और लोगों ने उन पर भी गंभीर सवाल खड़े किए।
मोहल्ले के ही राहत जान, नवी जान, शफीक अहमद और रईस अहमद ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने न तो पदचिह्नों की तलाश की और न ही किसी तकनीकी जांच (Technical Investigation) का सहारा लिया। उनका कहना है कि विभाग घटना को गंभीरता से लेने के बजाय मामले को दबाने में जुटा है, जिससे ग्रामीणों में असुरक्षा की भावना और बढ़ गई है।
वहीं, इस पूरे मामले पर वन रेंजर सुरेश जोशी ने कहा कि घटना की जांच (Investigation) की जा रही है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील की। हालांकि, गांव में अब भी तेंदुए के आतंक (Leopard Terror) को लेकर भय का माहौल बना हुआ है और ग्रामीण वन विभाग से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।





