लखनऊ में ई-रिक्शा पर ‘नो हेलमेट’ चालान, ट्रैफिक सिस्टम पर उठे गंभीर सवाल

जिस ई-रिक्शा पर हेलमेट का नियम लागू ही नहीं, उसी पर ‘नो हेलमेट’ का चालान काटे जाने से ट्रैफिक सिस्टम की बड़ी खामी उजागर

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक पुलिस (Traffic Police) की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। आलमबाग थाना क्षेत्र के अवध चौराहे पर 17 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने पूरे ट्रैफिक चालान सिस्टम (E-Challan System) की विश्वसनीयता पर बहस छेड़ दी है। यहां एक ई-रिक्शा (E-Rickshaw) चालक का ₹1000 का चालान काट दिया गया, वह भी ‘नो हेलमेट’ (No Helmet) के उल्लंघन में, जबकि नियमों के अनुसार ई-रिक्शा चालकों पर हेलमेट अनिवार्य नहीं है।

मामला सामने आते ही सोशल मीडिया (Social Media) पर तेजी से वायरल हो गया और देखते ही देखते यह सवाल उठने लगा कि क्या ट्रैफिक विभाग चालान काटते समय वाहन की कैटेगरी (Vehicle Category) तक की सही जांच नहीं कर रहा है।

बताया जा रहा है कि ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन नंबर UP 32 XN 8897 है। जब चालक के मोबाइल पर चालान का मैसेज (SMS Alert) आया तो वह हैरान रह गया। चालान में स्पष्ट रूप से लिखा था— दो पहिया वाहन बिना हेलमेट (Two Wheeler Without Helmet)। जबकि चालान के साथ लगी फोटो में साफ तौर पर ई-रिक्शा दिखाई दे रहा है और चालान की कैटेगरी में भी उसे थ्री व्हीलर (Three Wheeler) ही दर्ज किया गया है।

ई-रिक्शा चालक का कहना है कि उसने वर्षों से ई-रिक्शा चलाया है, लेकिन आज तक ऐसा नियम नहीं सुना कि ई-रिक्शा में हेलमेट पहनना अनिवार्य हो। चालक के मुताबिक, “जब चालान का मैसेज आया तो मुझे लगा कोई गलती हुई है। फोटो देखी तो वही मेरी गाड़ी थी, लेकिन चालान ऐसा जैसे बाइक का काट दिया गया हो।”

चालक ने यह भी सवाल उठाया कि यदि ट्रैफिक नियमों (Traffic Rules) का उल्लंघन हुआ ही नहीं, तो चालान कैसे कट गया? क्या कैमरे (Traffic Camera) और ऑटोमैटिक चालान सिस्टम बिना मानवीय जांच (Manual Verification) के ही चालान जारी कर रहे हैं?

मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) और वर्तमान ट्रैफिक नियमों के अनुसार हेलमेट पहनना दो पहिया वाहन (Two Wheeler) चालकों और पीछे बैठने वाले व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। वहीं ई-रिक्शा और अन्य थ्री व्हीलर (Three Wheeler) श्रेणी के वाहनों पर हेलमेट की बाध्यता लागू नहीं होती।

इस स्थिति में ई-रिक्शा पर ‘नो हेलमेट’ का चालान नियमों के विपरीत (Against Rules) माना जा रहा है। यही कारण है कि यह मामला केवल एक चालक की परेशानी नहीं, बल्कि पूरे ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम पर प्रश्नचिह्न बन गया है।

जैसे ही यह चालान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, ट्रैफिक विभाग (Traffic Department) की जमकर आलोचना होने लगी। लोग सवाल पूछने लगे कि यदि इस तरह की गलती आम लोगों के साथ हो रही है, तो कितने निर्दोष चालकों से गलत चालान वसूले जा रहे होंगे?

सोशल मीडिया यूजर्स (Users) ने इसे System Failure, Technical Error और Lack of Accountability करार दिया। कई लोगों ने यह भी मांग की कि ऐसे मामलों में केवल चालान रद्द (Cancel Challan) करना ही नहीं, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही (Accountability) भी तय होनी चाहिए।

यह मामला ई-चालान सिस्टम (E-Challan System) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। ट्रैफिक नियमों को लागू करने के लिए ऑटोमेटेड कैमरों और सॉफ्टवेयर (Software) का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन यदि वाहन की सही पहचान ही नहीं हो पा रही, तो यह सिस्टम कितनी हद तक भरोसेमंद है?

विशेषज्ञों का मानना है कि बिना मानवीय सत्यापन के केवल तकनीक पर निर्भर रहना आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। खासकर तब, जब गलती सुधारने के लिए चालकों को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं

फिलहाल इस वायरल मामले के बाद उम्मीद की जा रही है कि ट्रैफिक विभाग इस चालान की समीक्षा (Review) करेगा और संबंधित ई-रिक्शा चालक को राहत मिलेगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि भविष्य में इस तरह की तकनीकी या मानवीय चूक दोबारा न हो।

यह घटना एक चेतावनी है कि ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने के साथ-साथ सिस्टम की पारदर्शिता (Transparency) और सटीकता (Accuracy) भी उतनी ही जरूरी है। अन्यथा आम नागरिकों का भरोसा (Public Trust) धीरे-धीरे कमजोर होता जाएगा।

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