सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए का सबसे बड़ा एक्शन, कोडीन कफ सिरप की पैरेलल सप्लाई चेन ध्वस्त

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
योगी सरकार ने बीते पौने नौ वर्षों में अवैध नशे के खिलाफ Zero Tolerance Policy के तहत लगातार सख्त कार्रवाई की है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने कोडीनयुक्त कफ सिरप और NDPS category drugs के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण और डायवर्जन के खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान चलाया, जिसे देश का अब तक का सबसे बड़ा drug diversion crackdown माना जा रहा है।
तीन माह पहले शुरू हुए इस अभियान से पहले एफएसडीए ने अंदरूनी स्तर पर गहन जांच (Internal Investigation) की। झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में विवेचना कर यूपी के super stockists और wholesalers के बीच कारोबारी रिश्तों के ठोस सबूत जुटाए गए। इसके बाद प्रदेश में जब कार्रवाई शुरू हुई, तो कोडीन कफ सिरप की अवैध सप्लाई चेन की परतें एक-एक कर खुलती चली गईं।
एफएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और STF (Special Task Force) ने नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसना शुरू किया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर नशे के रूप में सिरप का उपयोग करने और तस्करी करने वालों के खिलाफ NDPS Act और BNS (Bharatiya Nyaya Sanhita) के तहत सख्त मुकदमे दर्ज किए गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाएं और अरेस्ट-स्टे को खारिज कर दिया।
52 जनपदों में सघन जांच, 161 फर्मों पर एफआईआर
एफएसडीए ने पिछले तीन महीनों में प्रदेश के 52 जनपदों में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की। जांच के दौरान मिले दस्तावेजी और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर 36 जनपदों की 161 फर्मों/संचालकों के खिलाफ एनडीपीएस और बीएनएस की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई।
इसके साथ ही जिलाधिकारियों को Gangster Act के तहत कार्रवाई के लिए पत्र भेजे गए, ताकि अवैध नशे से अर्जित संपत्तियों को जब्त किया जा सके। यह कार्रवाई पूरे देश में कोडीनयुक्त कफ सिरप के खिलाफ सबसे बड़ा और निर्णायक एक्शन माना जा रहा है।
पूरा नेक्सस बेनकाब, कई राज्यों तक फैली जांच
मामले की तह तक पहुंचने के लिए एफएसडीए आयुक्त के निर्देश पर जिला स्तर पर कई टीमें गठित की गईं, जिनकी निगरानी मुख्यालय से की गई। टीमों ने Central Narcotics Bureau, Gwalior से कोडीन फॉस्फेट के कोटे और उठान का डेटा जुटाया।
सिरप निर्माता कंपनियों की जांच के लिए टीमें हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड गईं, जबकि क्रय-विक्रय रिकॉर्ड के लिए रांची, दिल्ली और लखनऊ में पड़ताल की गई। जांच में सामने आया कि कई होलसेलर्स के पास स्टॉक पहुंचने का सत्यापन नहीं था और रिटेल मेडिकल स्टोर के नाम पर वास्तविक बिक्री का कोई प्रमाण नहीं मिला।
दिल्ली और रांची के कुछ सुपर स्टॉकिस्ट तथा उनसे जुड़े होलसेलरों द्वारा parallel supply chain बनाकर कोडीन कफ सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं का अवैध वितरण किया जा रहा था।
700 करोड़ से अधिक की संदिग्ध आपूर्ति
जांच में पाया गया कि वर्ष 2024-25 में प्रदेश में कोडीनयुक्त कफ सिरप की आपूर्ति वास्तविक चिकित्सीय आवश्यकता से कई गुना अधिक थी।
Phensedyl (Abbott Healthcare) – 2.23 करोड़ से अधिक बोतलें
Ascoff (Laborate Pharmaceuticals) – 73 लाख से अधिक बोतलें
अन्य कंपनियां – लगभग 25 लाख बोतलें
इनका वैध चिकित्सीय उपयोग प्रमाणित नहीं हो सका, जिससे 700 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध आपूर्ति जांच के घेरे में आ गई।
85 अभियुक्त गिरफ्तार, SIT जांच जारी
एफएसडीए की रिपोर्ट पर पुलिस और एसटीएफ ने अब तक 79 मुकदमे दर्ज किए हैं और 85 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए एक SIT (Special Investigation Team) भी गठित की गई है, जिसकी रिपोर्ट अगले महीने मुख्यमंत्री को सौंपे जाने की संभावना है।
लाइसेंसिंग प्रणाली होगी और सख्त
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एफएसडीए ने थोक औषधि विक्रय लाइसेंसिंग सिस्टम को और पारदर्शी बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसमें—
थोक प्रतिष्ठानों की Geo-Tagging
भंडारण क्षमता का सत्यापन
प्रतिष्ठान की फोटोग्राफी
टेक्निकल पर्सन के अनुभव प्रमाण-पत्र का ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा सत्यापन
साथ ही कोडीनयुक्त कफ सिरप के निर्माण, बल्क सप्लाई और निगरानी के लिए भारत सरकार से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने का प्रस्ताव भी भेजा गया है।





