रक्षा विशेषज्ञों के बीच यह आशंका गहरा रही है कि बीजिंग में विंटर (शीतकालीन) ओलिंपिक खेलों के बाद चीन ताइवान पर हमला कर देगा। अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सदस्य माइकल मैकॉल के इस बारे में दो टूक बयान के बाद एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह अंदेशा बढ़ता जा रहा है।
वेबसाइट एशिया टाइम्स ने विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित एक विश्लेषण में यह आशंका भी जताई गई है कि चीन संभवतः ये हमला उस तरह से ना करे, जिसका अनुमान लगाया जा रहा है।जिससे अमेरिका के लिए असहज स्थिति पैदा हो। ऐसी कार्रवाई का मकसद दुनिया, खासकर ताइवान के लोगों को यह संदेश देना हो सकता है कि अमेरिका ताइवान की रक्षा करने में सक्षम नहीं है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस रणनीति के तहत पुतिन अमेरिका की कमजोरी को बेनकाब करने की कोशिश में हैं। साथ ही वे यूक्रेन के सवाल पर अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिक संगठन- उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में फूट डालने की रणनीति पर चल रहे हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ऐसे कई विकल्पों पर अपने सैन्य विशेषज्ञों के साथ राय-मशविरा कर चुके हैं। एक आकलन यह है कि अगर यूक्रेन के मुद्दे पर सचमुच रूस और अमेरिका के बीच सैन्य टकराव हुआ।