Report By : Sanjay Sahu,Chitrakoot
जनपद चित्रकूट का श्रम पर्वतन कार्यालय कई वर्षों से भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हुआ है। और यहां आने वाला हर अधिकारी भी उसी गंगा में डुबकी लगाकर पवित्र हो जाते हैं, इतना ही नहीं शासन के आदेशों को ठेंगा दिखाकर अपने मन मुताबिक काम करते है कहते हैं। पहले तो कोई अधिकारी चित्रकूट में आना नहीं चाहता और आ गया तो फिर वह जल्दी जाना नहीं चाहता अब यह क्यों और कैसे संभव हो पाता है इसका उदाहरण भी जरा समझ लीजिए।
चित्रकूट के पांचों ब्लॉकों में अधिकारियों ने अपने – अपने मुताबिक दलालों को सेट कर रखा है जिसके कारण पैसा ले देकर के योजनाओं का गलत तरीके से लाभ दिया जाता है। कई बार इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों तक की गई लेकिन पैसे के आकण्ठ में डूबे अधिकारी भी इसके आगे नतमस्तक हो गए। और मजदूरों के आये पैसों पर राज करने लगे कहते हैं।
दलालों द्वारा कैसे होता है लेनदेन
अगर आपको श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ उठाना है तो दलालों को पैसे देना पड़ेगा और पैसे इतने कि वह आपको हैरान कर देने वाले होंगे, श्रम विभाग में मौजूदा समय में तेजी से चलने वाली योजनाएं मातृत्व हितलाभ और शिशु हित लाभ की है जिस पर अगर लड़की हुई तो लगभग 55 हज़ार और लड़का हुवा तो 50 हज़ार की रुपये महिलाओं को दिए जाते हैं। पैसा आने के पहले से यह तय होता है कि 15-20 हज़ार रुपये योजनाओं का लाभ लेने के लिए लगेंगे, खाश बात तो यह है कि दलाल द्वारों मजदूरों से खाली चेक हस्ताक्षर करवाकर ले लिया जाता है। पैसा आ गया तो चेक के माध्यम से निकाल लिया जाता है और न दिया गया तो चेक बैंक में लगाकर बाऊंस करवा दिया जाता है और लाभार्थी के ऊपर मुकदमा लिखवा दिया जाता है।
सपा विधायक अनिल प्रधान ने सदन में उठाया था मुद्दा
गौरतलब हो कि श्रम प्रवर्तन कार्यालय चित्रकूट में व्यापक रूप से फैले भ्रष्टाचार का सदर विधायक अनिल प्रधान ने विधानसभा में मुद्दा उठाया था, जिस पर अपर मुख्य सचिव श्रम एवं सेवायोजन के अधिकारी ने बड़ी कार्यवाही की है। बताते चलें कि लगातार सपा विधायक अनिल प्रधान के पास मजदूर यह शिकायत लेकर पहुंच रहे थे कि अधिकारियों और दलालों द्वारा हमें योजनाओं का लाभ देने के नाम पर 15 से 20 की वसूली की जा रही है नहीं देते हैं तो हमें योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाता है। इन्हीं सब मामलों को लेकर अनिल प्रधान ने नियम 51 के तहत विधानसभा में 6 दिसंबर 2022 को यह मामला सदन में उठाया था जिस पर कानपुर श्रम आयुक्त कार्यालय से जांच के लिए भेजे गए अजय मिश्रा और उप श्रम आयुक्त मुख्यालय कानपुर में बिना शिकायतकर्ता एवं अन्य पात्रों की बिना सुने तत्कालीन श्रम अधिकारी रहे दुष्यंत कुमार को और वर्तमान में अधिकारी अरुण कुमार तिवारी को क्लीन चिट दे दी गई थी। जिसके बाद फिर सपा विधायक ने अपर मुख्य सचिव श्रम एवं सेवायोजन में शिकायत दर्ज करा कर इनके भ्रष्टाचार को उजागर किया गया। जिसके बाद उप श्रमायुक्त कानपुर सुरेंद्र प्रसाद सिंह आईएएस एवं एक अन्य अधिकारी द्वारा जनपद चित्रकूट में जाकर सदर विधायक की शिकायत कर्ताओं का पक्ष सुना, जिसमें जांच टीम द्वारा दोनों श्रम प्रवर्तन अधिकारी अरुण कुमार तिवारी और पूर्व में रहे दुष्यंत कुमार के खिलाफ खूब भ्रष्टाचार के सबूत पाए गए। जिस पर शासन ने यह निर्देश जारी किया कि वर्तमान श्रम प्रवर्तन अधिकारी अरुण कुमार तिवारी और पूर्व में तैनात रहे दुष्यंत कुमार को इनके तैनाती स्थल से हटाकर कानपुर मुख्यालय सम्बद्ध करने का आदेश जारी किया है। फिलहाल मौजूदा समय मे 2700 के लगभग मजूदरो की योजनाओं की फाइल का भविष्य अधर में लटका हुवा है जो पिछले नौ माह से कूड़े के ढेर में पड़ी है।
मास्टरमाइंड कम्प्यूटर ऑपरेटर के चलते दोनों अधिकारियों पर साबित हुवे भ्रष्टाचार
श्रम प्रवर्तन कार्यालय चित्रकूट में कई सालों से तैनात संविदा कर्मी कंप्यूटर ऑपरेटर जगत राम जनपद में और आम लोगों के बीच खूब चर्चा का विषय बने रहते हैं इतना ही नहीं अधिकारियों को कैसे बेवकूफ बनाना है। और कैसे जनपद में सेटिंग करनी है कहां से पैसा आएगा इन सब मामलों में कंप्यूटर ऑपरेटर का दिमाक कंप्यूटर से भी तेज चलता था। इतना ही नहीं एक जिलाधिकारी के आदेशों का कैसे खुलेआम उल्लंघन करना है यह सब इनके दाएं हाँथ कह खेल था। जांच में फसने के बाद चित्रकूट के तत्तकालीन डीएम रहे विशाख ने इसको सेवा से मुक्त करने का आदेश जारी किया लेकिन आदेश को दरकिनार कर इसने चार साल से ज्यादा गलत तरीके से जनपद में नौकरी की और वेतन लेता रहा।
जगतराम का नौकरी पाने के बाद का इतिहास
इस विभाग का चर्चित नाम जगतराम ने जनपद में 2013 में नौकरी शुरू की सालों तक जनपद में नौकरी करके करोड़ों रुपए की अचूक दौलत कमाई है। यह भी किसी से छिपा नहीं है। सूत्र बताते चलें कि जगत राम कुशवाहा बांदा जनपद के अतर्रा का रहने वाला है। जिसके पास 2013 के बाद से यह विभाग सबसे ज्यादा अगर किसी को पचा है तो वह जगतराम है। योजनाओं के लाभ लेने वाले मजदूर बतातें हैं कि मुख्यालय के पुरानी बजार स्थित एक जनसेवा केंद्र संचालक के माध्यम से खूब वसूली की जाती है। इस जनसेवा केंद्र संचालक का एक ऑडियो कुछ दिन पहले वायरल भी हुवा था।
जानिए कितनी संपत्ति है कम्प्यूटर ऑपरेटर के पास
इन 9 सालों में श्रम प्रवर्तन कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात जगत राम कुशवाहा ने बांदा जनपद के अंदर करोड़ों की संपत्ति खरीदी है। सूत्र बताते हैं कि जगत राम के पास एक आलीशान घर जिसकी कीमत लगभग 50 लाख है इसके अलावा जगतराम के पास एक बोलेरो कार है, साथ ही जगत राम ने मौजूदा समय 2022 में जनपद बांदा के तहसील अंतर्गत अपनी पत्नी के नाम लगभग 12 बीघा जमीन भी खरीदी है। कुल मिलाकर इस विभाग में रहकर अगर किसी को कुछ मिला है तो वहः जगतराम है वरना अत्तरा में रहने वाला संविदा कमर्चारी हर दिन 100 रुपये लगाकर बस से चित्रकूट क्यों आता जबकि इसका वेतन पिछले साल तक 7 हज़ार था अब 12 हज़ार के लगभग हो गया है। फिलहाल इस बार बड़े अधिकारीयों की फाइनल रिपोर्ट लगने के बाद इसके सेवा मुक्त करने का आदेश एक बार फिर जारी कर दिया गया है।