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डिप्टी सीएम के नाम पर फर्जी फेसबुक अकाउंट, निजी सचिव ने दर्ज कराई FIR

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर एक फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाने और इसके माध्यम से भ्रामक पोस्ट करने के मामले में उनके निजी सचिव वीरेंद्र कुमार ने एफआईआर दर्ज कराई है।

मामला और एफआईआर की जानकारी

21 अगस्त को लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। निजी सचिव वीरेंद्र कुमार ने शिकायत में आरोप लगाया है कि उपमुख्यमंत्री के नाम पर एक फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया गया है। इस अकाउंट पर उपमुख्यमंत्री की तस्वीरों और उनके नाम का उपयोग कर भ्रामक पोस्ट की गई हैं, जो जनता को गुमराह करने के लिए की गई हैं।

साइबर क्राइम सेल की भूमिका

एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस अब साइबर क्राइम सेल की सहायता से इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। जांच के दौरान पुलिस संदिग्ध यूर्जस की लोकेशन का पता लगाने में जुटी है। साइबर क्राइम सेल के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वे मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस की कार्रवाई और अधिकारियों की टिप्पणी

पुलिस ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी संभावित संदिग्धों की पहचान की जा रही है और तकनीकी विश्लेषण के माध्यम से उन्हें ट्रैक करने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकार की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

शिकायत में उठाए गए प्रमुख बिंदु

वीरेंद्र कुमार की लिखित शिकायत में उल्लेख किया गया है कि फर्जी अकाउंट से उपमुख्यमंत्री के नाम का दुरुपयोग किया गया और इस अकाउंट से कई तरह के भ्रामक पोस्ट अपलोड किए गए। इन पोस्ट्स को बड़े पैमाने पर शेयर भी किया गया, जिससे जनता के बीच गलत जानकारी फैल रही थी।

आगे की कार्रवाई

अब पुलिस और साइबर क्राइम सेल की टीमें इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं। फर्जी अकाउंट बनाने वाले व्यक्ति की पहचान और उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस तंत्र पूरी तरह से सक्रिय है। इस मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री के निजी सचिव ने भी जनता से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी से बचें और ऐसी घटनाओं की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।

यह मामला सूचना प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के दुरुपयोग की एक महत्वपूर्ण मिसाल है। इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम के लिए बेहतर तकनीकी उपाय और सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता है। पुलिस की जांच और कानूनी कार्रवाई की प्रतीक्षा की जा रही है।

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