समझ रहे हो न रेल के कुछ अधिकारी रेल दुर्घटना के बाद दौरे पर थे | जो घायल थे , उसने मिलना था और मुआवजे की राशि बांटनी थी | वे अस्पताल के तीन बिस्तरों पर निरीक्षण करने पहुंचे |
तुम्हारा नाम क्या है ?
जी गोलू !
तुम्हारी टांगें कैसी कटीं ?
जी रेल दुर्घटना में !
तुम्हारा नाम आरक्षित यात्रियों की लिस्ट में शामिल नहीं है |
तुम झूठ बोलते हो , तुम्हें मुआवजा नहीं मिलेगा |
अगले बेड पर तुम्हारा नाम क्या है ?
जी सुखलाल |
तुम्हारा नाम आरक्षित यात्रियों यात्रियों की लिस्ट में शामिल नहीं है |
तुम झूठ बोलते हो , तुम्हें मुआवजा नहीं मिलेगा |
अगले बेड पर तुम्हारा नाम !
जी दोहरे कुमार !
इससे पहले अधिकारीगण कुछ बोलते !
वो बोल उठा ” हुजूर ! मैं रेल दुर्घटना में नहीं बल्कि शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए चोटिल हुआ हूँ !
अगर आप मुझे मुआवजा देगें ! तो मैं आपको ! समझे न |
अरे ! इसका नाम आरक्षित यात्रियों की लिस्ट में डाल दो और इसे आधा मुआवजा दो ! और बाकी समझ रहे हो न ! |
अधिकारीगण बोल उठे और उनके चेहरे खिल उठे | दौरा समाप्त हुआ ! अधिकारियों ने मुआवजा पाने वाले और लोगों की पहचान कर ली |
पहचान कैसे हुई ? समझ रहे हो न !
लेख : विजय गुंजन