महाकुंभ 2025: नारी शक्ति और युवा चेतना से सनातन संस्कृति के विस्तार का साक्षी बना प्रयागराज

Report By : स्पेशल डेस्क
प्रयागराज : भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा का सबसे भव्य आयोजन, महाकुंभ 2025, इस बार एक नए युग की दस्तक दे रहा है। जहां एक ओर करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम में पुण्य स्नान कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नारी शक्ति और युवा चेतना के सनातन धर्म से गहरे जुड़ने की ऐतिहासिक तस्वीर सामने आ रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सनातन धर्म को सुदृढ़ करने और इसकी विरासत को मजबूत करने के लिए किए गए प्रयासों का प्रभाव इस बार के महाकुंभ में स्पष्ट रूप से दिख रहा है। विशेष रूप से, महिलाओं और युवा पीढ़ी की सनातन संस्कृति के प्रति बढ़ती रुचि ने कुंभ को एक नए अध्याय की ओर अग्रसर कर दिया है।
संन्यासिनी अखाड़े में 246 महिलाओं ने ली नागा संन्यास दीक्षा
महाकुंभ 2025 में नारी शक्ति ने सनातन परंपरा में एक नया इतिहास रच दिया है। इस बार 246 महिलाओं ने संन्यासिनी अखाड़े में नागा संन्यास दीक्षा ग्रहण कर आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया है। यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है। इससे पहले, 2019 के कुंभ में 210 महिलाओं ने यह दीक्षा ली थी।
संन्यासिनी बनने के लिए उच्च शिक्षित वर्ग की रुचि
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की अध्यक्ष डॉ. देव्या गिरी ने बताया कि इस बार नागा संन्यासिनी बनने वालों में बड़ी संख्या उच्च शिक्षित महिलाओं की है। इनमें डॉक्टर, प्रोफेसर, वकील और अन्य पेशेवर वर्ग की महिलाएं शामिल हैं, जो आत्मचिंतन और सनातन धर्म की गहराई को समझने के लिए इस राह पर आगे बढ़ रही हैं।
“संन्यास अब सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं रहा। सनातन धर्म की शिक्षाएं सभी के लिए समान हैं और महिलाओं की भागीदारी इसे और अधिक सशक्त बना रही है,” – डॉ. देव्या गिरी
महाकुंभ में 7,000 से अधिक महिलाओं ने ली गुरु दीक्षा
महाकुंभ हमेशा से ही श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक उन्नति और धर्मगुरुओं से जुड़ने का एक अनमोल अवसर रहा है। इस बार, अखाड़ों और मठों के शिविरों में 7,000 से अधिक महिलाओं ने गुरु दीक्षा ली और सनातन धर्म की सेवा का संकल्प लिया।
महिलाओं की आध्यात्मिक जिज्ञासा में बढ़ोतरी
महाकुंभ में प्रमुख धर्मगुरुओं और संन्यासी संप्रदायों के साथ जुड़कर लाखों लोग सनातन संस्कृति को अपनाने का मार्ग चुन रहे हैं। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी और वैष्णव संतो के शिविरों में महिलाओं की संख्या अधिक रही।
इन शिविरों में गुरु दीक्षा लेने के लिए महिलाओं की लंबी कतारें देखी गईं। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं, जो पहले सनातन धर्म को सिर्फ एक परंपरा के रूप में देखती थीं, लेकिन अब इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना रही हैं।
“महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं में महिलाओं की संख्या हर साल बढ़ रही है। यह नारी शक्ति के जागरण का संकेत है, जो सनातन संस्कृति को एक नई दिशा देगा।” – स्वामी अवधेशानंद गिरी
नारी शक्ति की युवा पीढ़ी भी तेजी से अपना रही सनातन परंपरा
महाकुंभ में इस बार एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला है – युवा पीढ़ी की सनातन धर्म में बढ़ती रुचि। दिल्ली यूनिवर्सिटी की शोध छात्रा इप्शिता होलकर के अनुसार, महाकुंभ 2025 में आने वाले हर 10 श्रद्धालुओं में से 4 महिलाएं हैं, और इनमें से 40% युवा वर्ग से हैं।
युवाओं के इस बढ़ते रुझान को लेकर गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान ने भी शोध किया, जिसमें यह सामने आया कि नई पीढ़ी अब सनातन धर्म के दर्शन और विचारधारा को समझने के लिए अधिक इच्छुक है।
सनातन धर्म को लेकर बढ़ रही जिज्ञासा
शोध के मुताबिक, युवा पीढ़ी अब सिर्फ कर्मकांड या परंपरागत पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। वे सनातन धर्म के गहरे दर्शन, आध्यात्मिकता और योग जैसे विषयों को भी समझना चाहते हैं। यही कारण है कि महाकुंभ में धर्मगुरुओं के प्रवचनों में युवा वर्ग की भागीदारी पहले से अधिक देखी जा रही है।
“हमने पाया कि युवा अब सनातन धर्म को केवल एक परंपरा के रूप में नहीं देख रहे, बल्कि वे इसे एक जीवनशैली के रूप में अपना रहे हैं। योग, ध्यान और वेदांत पर उनकी गहरी रुचि बढ़ रही है।” – इप्शिता होलकर, शोधकर्ता
सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण की ओर बढ़ते कदम
महाकुंभ 2025 यह दर्शाता है कि सनातन संस्कृति सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवंत और समावेशी जीवनशैली है। नारी शक्ति और युवा चेतना की इस भागीदारी से यह स्पष्ट हो गया है कि सनातन धर्म आने वाले समय में और अधिक मजबूती से आगे बढ़ेगा।
महाकुंभ 2025 क्यों है विशेष
नागा संन्यासिनी दीक्षा का ऐतिहासिक रिकॉर्ड. गुरु दीक्षा लेने वाली महिलाओं की अभूतपूर्व संख्या
युवा पीढ़ी की बढ़ती भागीदारी और जागरूकता
सनातन धर्म के गहरे दर्शन और विचारधारा को अपनाने की नई लहर
इस महाकुंभ के माध्यम से सनातन धर्म के प्रसार का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है, जहां नारी शक्ति और युवा चेतना मिलकर इसे और अधिक मजबूत बना रहे हैं।