महाकुम्भ, सनातन सभ्यता, संस्कृति, दर्शन और हमारी शाश्वत परंपराओं की जीवंतता का प्रमाण: धर्मेंद्र प्रधान

महाकुम्भ नगर: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इस अवसर पर उन्होंने महाकुम्भ 2025 में भाग लेने को अपने लिए सौभाग्य का विषय बताया और इस महान आयोजन की दिव्यता और भव्यता की सराहना की।

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “हमें सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि महाकुम्भ 2025 में भाग लेने का अवसर मिला। हम यहां आकर बेहद खुश हैं।” उन्होंने महाकुम्भ को केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन सभ्यता, संस्कृति, दर्शन और हमारी शाश्वत परंपराओं की जीवंतता का प्रमाण बताया।

अविस्मरणीय अनुभव और आस्था की डुबकी

महाकुम्भ के इस दिव्य अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “महाकुम्भ सनातन सभ्यता, संस्कृति, दर्शन और हमारी शाश्वत परंपराओं की जीवन्तता का प्रमाण है। मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की दिव्य धाराओं के संगम में सपरिवार आस्था की डुबकी लगाना मेरा असीम सौभाग्य है।” उन्होंने महाकुम्भ को एकता का प्रतीक और अमृत स्नान को अविस्मरणीय अनुभव बताया।

धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अपने इस अनुभव को साझा किया। उन्होंने लिखा, “एकता के महाकुम्भ में अमृत स्नान मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभूति है। मां गंगा सभी का कल्याण करें, यही कामना है। हर हर गंगे।”

साथ में अन्य मंत्रियों ने भी किया पवित्र स्नान

इस दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार के कई प्रमुख मंत्री भी महाकुम्भ में शामिल हुए। प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री राकेश सचान, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, और परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह भी त्रिवेणी संगम पर पहुंचे और पवित्र गंगाजल में आस्था की डुबकी लगाई।

मंत्रियों ने त्रिवेणी संगम में स्नान करने के बाद मां गंगा का विधिवत पूजन किया और राष्ट्र एवं जनकल्याण की कामना की। इस मौके पर सभी ने महाकुम्भ के आयोजन को शानदार तरीके से संचालित करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना की।

महाकुम्भ 2025 की भव्यता पर चर्चा

धर्मेंद्र प्रधान और अन्य नेताओं ने महाकुम्भ 2025 के आयोजन की भव्यता और इसके प्रभाव को लेकर संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ 2025 के आयोजन में जिस प्रकार की व्यवस्थाएं की जा रही हैं, वह दर्शाते हैं कि यह आयोजन न केवल भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी भारत की संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगा।

Related Articles

Back to top button