मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तकनीकी संस्थानों से की जीवनोपयोगी, सस्ती और टिकाऊ तकनीकी विकसित करने की अपील

गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को गोरखपुर स्थित मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) में एक भव्य समारोह में 91 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली 13 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधार्थियों को अनुसंधान योजनाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार प्रदान किए और 76 नवनियुक्त शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर तकनीकी संस्थानों से आह्वान किया कि वे केवल शैक्षिक परिसरों तक सीमित न रहते हुए समाज की जरूरतों के हिसाब से सस्ती, जीवनोपयोगी और टिकाऊ तकनीकी विकसित करने की दिशा में काम करें।
तकनीकी का मानवीय चेहरा ज़रूरी
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि आज तकनीक ने जीवन को आसान तो बना दिया है, लेकिन यदि यह महंगी होगी तो आमजन तक इसकी पहुंच नहीं हो पाएगी। ऐसे में तकनीकी संस्थानों को चाहिए कि वे ऐसे मॉडल विकसित करें, जो सामान्य जन को सीधे लाभ दें। उन्होंने कहा, “तकनीक हमसे संचालित होनी चाहिए, न कि हम तकनीक से।” उन्होंने उदाहरण देते हुए पूछा कि क्या हम ऐसी तकनीक विकसित कर सकते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मात्र ₹1.20 लाख की सहायता में तीन महीने में एक मजबूत, टिकाऊ घर बन जाए?
देसी नवाचारों की दी प्रेरणा
सीएम योगी ने गोरखपुर नगर निगम द्वारा इस्तेमाल की जा रही देशी वॉटर ट्रीटमेंट तकनीक का उदाहरण देते हुए बताया कि राप्ती नदी में गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए केवल ₹10 करोड़ की लागत से एक अभिनव पद्धति विकसित की गई है, जिसमें प्राकृतिक पत्थरों और वनस्पतियों का उपयोग किया गया है। नीति आयोग तक में इसका प्रस्तुतिकरण हो चुका है और जर्मनी जैसे देश ने भी इसकी सराहना की है।
तकनीकी के सहारे पारदर्शिता
मुख्यमंत्री ने तकनीकी के प्रभावशाली उपयोग की बात करते हुए कहा कि पहले वृद्धावस्था पेंशन के नाम पर भ्रष्टाचार होता था, लेकिन अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचता है। फर्जी राशन कार्ड और गलत लाभ उठाने वालों पर नकेल कसने में भी तकनीकी मददगार रही है।
एआई, रोबोटिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग की ओर बढ़ें संस्थान
मुख्यमंत्री ने आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कुछ नगर निकायों ने सीवर सफाई में रोबोटिक्स का उपयोग शुरू कर दिया है, और उन्होंने विश्वविद्यालय से अपील की कि कम लागत वाले मॉडल विकसित किए जाएं ताकि आम नागरिक भी इनका लाभ उठा सकें।
भारतीय दृष्टिकोण से हो समग्र विकास
सीएम योगी ने पश्चिमी देशों के ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ की तुलना में भारतीय समग्र विकास की परिकल्पना को अधिक प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि समग्र विकास का मतलब है – सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पक्षों को साथ लेकर आगे बढ़ना।
भारत का फिर से विश्वगुरु बनने का रास्ता
मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि भारत कभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करता था। उन्होंने कहा, “2014 से पहले भारत ग्यारहवीं अर्थव्यवस्था था, और आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। जल्दी ही तीसरे स्थान पर पहुंचेंगे। ये बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संभव हुआ है।”
नवनियुक्त शिक्षकों को दी शुभकामनाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के 76 नवनियुक्त शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि यह नियुक्ति पारदर्शी प्रक्रिया का हिस्सा है और उनसे अपेक्षा है कि वे विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में और आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाएं।
सांसद रविकिशन और कुलपति का संबोधन
सांसद रविकिशन शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि सीएम योगी न केवल पूरे प्रदेश की चिंता करते हैं, बल्कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नवाचार की दिशा में प्रयासरत हैं। वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी सैनी ने बताया कि विश्वविद्यालय लगातार प्रगति कर रहा है और सीएम योगी की प्रेरणा से नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच स्पष्ट है – तकनीकी केवल शहरी या उच्च वर्ग के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह जनसामान्य के जीवन को बेहतर बनाने वाली होनी चाहिए। तकनीकी शिक्षा संस्थानों की यही जिम्मेदारी है कि वे भविष्य के भारत के लिए सस्ती, टिकाऊ और व्यावहारिक नवाचारों को जन्म दें।