मऊ सदर अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में दलालों का राज: बिना रसीद लिए हो रहा प्लास्टर, फार्मासिस्ट पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप

Report By : आसिफ अंसारी
मऊ सदर अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार वजह बेहद चिंताजनक है। ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को दी जाने वाली मेडिकल सुविधाएं अब दलालों और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही हैं। ताज़ा मामला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर से सामने आया है, जहां एक फार्मासिस्ट पर मरीजों से नगद पैसे लेकर बिना किसी वैध रसीद के प्लास्टर करने का आरोप लगा है। इस पूरी गतिविधि ने सरकारी अस्पताल की साख और वहां की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, हड्डी टूटने जैसी गंभीर अवस्था में इलाज कराने आने वाले मरीजों को अस्पताल की निर्धारित प्रक्रिया के तहत पहले कैश काउंटर से रसीद कटवानी होती है। उसके बाद ही उन्हें प्लास्टर या अन्य इलाज मिल पाता है। लेकिन ट्रॉमा सेंटर में कार्यरत एक फार्मासिस्ट ने इस प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए निजी तौर पर अलग ही व्यवस्था बना ली है। सूत्रों की मानें तो वह सीधे मरीजों से नगद रुपये लेकर बिना रसीद दिए उन्हें प्लास्टर की सुविधा तत्काल उपलब्ध करवा देता है।
स्थानीय नागरिकों और अस्पताल आने वाले तीमारदारों का कहना है कि यदि कोई मरीज रसीद कटवाकर प्लास्टर करवाना चाहता है, तो उसे घंटों इंतजार करना पड़ता है। वहीं, यदि वह सीधे फार्मासिस्ट से संपर्क कर नगद भुगतान करता है, तो मात्र 10 मिनट में उसका प्लास्टर हो जाता है। यह गैरकानूनी व्यवस्था न सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है, बल्कि अन्य मरीजों के लिए असमानता भी पैदा कर रही है।
इस पूरे घटनाक्रम की वीडियो और तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें फार्मासिस्ट को साफ तौर पर मरीजों से नगद पैसे लेते हुए देखा जा सकता है। यह दृश्य कैमरे में कैद हो चुका है और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मऊ सदर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. सी.पी. आर्य ने तत्काल संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डॉ. आर्य ने कहा, “सरकारी अस्पताल में इस तरह की अवैध वसूली को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
स्थानीय लोगों ने भी इस पूरे प्रकरण पर गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि सरकार आम जनता के लिए मुफ्त और पारदर्शी इलाज की व्यवस्था करती है, लेकिन कुछ लोगों की वजह से ये व्यवस्था बदनाम हो रही है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ट्रॉमा सेंटर की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए और दलालों व भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
यह घटना केवल मऊ ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के लिए एक चेतावनी है कि अस्पतालों में हो रही अवैध गतिविधियों पर समय रहते अंकुश लगाया जाए, ताकि आम आदमी को सरकारी सुविधाओं का पूरा लाभ मिल सके।