यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार ने अखिलेश यादव के आरोपों को बताया बेबुनियाद, सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही जानकारी को कहा भ्रामक

लखनऊ – उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार ने सोमवार को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद बताया है। डीजीपी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जो बातें सोशल मीडिया पर फैल रही हैं, वे भ्रामक और तथ्यहीन हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की टिप्पणियां जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को शोभा नहीं देतीं।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने अपने बयान में कहा,
“सोशल मीडिया पर जो भी जानकारी प्रसारित की जा रही है, वह पूरी तरह से गलत है। सभी जिलों से पहले ही सूचना साझा की जा चुकी है। भविष्य में यदि कोई भ्रामक जानकारी सामने आती है तो उसे समय रहते स्पष्ट किया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि जो भी लोग जिम्मेदार पदों पर हैं, उन्हें ऐसे संवेदनशील मामलों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।
अखिलेश यादव के आरोप क्या थे?
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में प्रयागराज में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि प्रदेश में सरकारी भर्तियों, विशेष रूप से पुलिस विभाग में, एक जाति विशेष को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में PDA वर्ग यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय की अनदेखी की जा रही है।
अखिलेश यादव ने कहा,
“प्रदेश में भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। एक जाति विशेष को हर विभाग में आगे बढ़ाया जा रहा है, जबकि PDA को नजरअंदाज किया जा रहा है।”
उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गर्मा गया और विभिन्न प्लेटफार्मों पर जातिगत भेदभाव को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं।
डीजीपी की सख्त चेतावनी
डीजीपी ने इन चर्चाओं को गंभीरता से लेते हुए कहा कि पुलिस विभाग पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाता है और किसी भी प्रकार की जातिगत प्राथमिकता नहीं दी जाती। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन भ्रामक जानकारी फैलाएगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे विवाद के बीच यूपी की राजनीति में जातिगत समीकरण एक बार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। वहीं, पुलिस विभाग द्वारा की गई स्पष्टीकरण की पहल यह दर्शाती है कि सरकार इस प्रकार के आरोपों को लेकर सजग है और छवि खराब करने की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेगी।
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह विवाद आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है।