छुटभैया नेता पप्पू मौर्या के अभद्र भाषण से आहत पत्रकार हुए लामबंद, एसपी को सौंपा ज्ञापन


रिपोर्ट – मऊ जनपद से विशेष संवाददाता

मऊ: समाजवादी पार्टी के मधुबन विधानसभा क्षेत्र के छुटभैया नेता पप्पू मौर्या द्वारा मीडिया कर्मियों के खिलाफ अमर्यादित और अभद्र भाषा का प्रयोग करने पर मऊ जिले के पत्रकारों में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली। इस घटना से आहत होकर जनपद के पत्रकारों ने शुक्रवार को एकजुट होकर एसपी इलामारन से मुलाकात की और पप्पू मौर्या के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।

यह पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब गुरुवार को समाजवादी पार्टी द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इस धरने का नेतृत्व सपा सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ हो रहे कथित हमलों और प्रदेश में कथित रूप से बिगड़ती कानून व्यवस्था के विरोध में किया गया था। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए मधुबन क्षेत्र के सपा नेता पप्पू मौर्या ने पत्रकारों के प्रति बेहद आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, जो कि न केवल पत्रकारिता जगत के लिए, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी अत्यंत निंदनीय है।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद जिले भर के पत्रकारों में भारी आक्रोश फैल गया। पत्रकारों ने इसे न केवल व्यक्तिगत अपमान, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और गरिमा पर सीधा हमला बताया। शुक्रवार को जनपद के वरिष्ठ पत्रकार जाहिद इमाम के नेतृत्व में पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर पप्पू मौर्या के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए एक लिखित ज्ञापन सौंपा।

जाहिद इमाम ने मीडिया से बातचीत में कहा, “पत्रकारों को गाली देना केवल शब्दों का खेल नहीं है, यह लोकतंत्र की चौथी स्तंभ पर हमला है। यदि ऐसे तत्वों पर कार्रवाई नहीं होती है, तो यह गलत परंपरा स्थापित करेगा।

इस प्रतिनिधिमंडल में जिले के कई वरिष्ठ और युवा पत्रकार शामिल थे, जिनमें प्रमुख रूप से वेद मिश्रा, नवरतन शर्मा, प्रकाश पांडेय, विनय श्रीवास्तव, जीतेन्द्र वर्मा, जावेद अंसारी, कलमेश पाल, अभिषेक सिंह, पीयूष पाण्डेय, नदीम अहमद, रामसूरत राजभर, अंजली राय, यशवंत कुमार, मनोज कुमार, कमलेश विश्वकर्मा आदि शामिल रहे।

सभी पत्रकारों ने एक स्वर में मांग की कि पप्पू मौर्या जैसे छुटभैया नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया जाए और प्रशासन उनके खिलाफ आईटी एक्ट, सार्वजनिक अशांति फैलाने और पत्रकारों के सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसी धाराओं में मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करे।

इस पूरी घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीति में अभद्रता की भाषा अब सामान्य होती जा रही है? और क्या मीडिया की स्वतंत्रता को यूं ही खुलेआम ललकारा जाएगा?

मऊ जिले के पत्रकारों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने सम्मान को किसी भी कीमत पर गिरवी नहीं रखेंगे और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हर मंच पर आवाज उठाते रहेंगे। आने वाले दिनों में यदि प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है तो पत्रकारों ने वृहद स्तर पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

यह प्रकरण अब केवल एक व्यक्ति की भाषा नहीं, बल्कि पत्रकारिता के सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा का प्रतीक बन चुका है।

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