उपराष्ट्रपति को पत्नी ने समोसा नहीं खाने दिया: योगी ने स्टील का गिलास मंगाकर पिया नींबू पानी, सेक्रेटरी की मां ने सुनाए किस्से”

नई दिल्ली
राजनीति की दुनिया में गंभीरता, पद की गरिमा और प्रोटोकॉल के बीच कुछ पल ऐसे भी होते हैं जो नेताओं के मानवीय और घरेलू पक्ष को उजागर कर देते हैं। हाल ही में राजधानी में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुछ ऐसी ही रोचक घटनाएं सामने आईं, जहां देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे।
कार्यक्रम का आयोजन एक वरिष्ठ सरकारी सचिव की सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में किया गया था। इस अवसर पर न केवल राजनीतिक हस्तियां बल्कि उनके परिवारजन भी आमंत्रित थे। सेक्रेटरी की मां, जो खुद बेहद सरल और सहज स्वभाव की हैं, ने कुछ दिलचस्प किस्से साझा किए, जिन्होंने इस औपचारिक माहौल में हास्य और अपनापन घोल दिया।
उपराष्ट्रपति और समोसे की कहानी
कार्यक्रम के बाद जब जलपान की व्यवस्था शुरू हुई, तो मेहमानों को तरह-तरह के पकवान परोसे गए। समोसे की खुशबू ने माहौल में एक अलग ही स्वाद भर दिया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नज़र भी समोसे पर पड़ी और उन्होंने मजाक में कहा, “काश, ये समोसा मैं खा पाता।” तभी उनकी पत्नी ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं-नहीं, डॉक्टर ने मना किया है, आप सिर्फ फ्रूट्स खाइए।” इस पर उपराष्ट्रपति ने भी हँसते हुए कहा, “देखिए, देश की नहीं तो घर की सरकार का तो पालन करना ही होगा।”
योगी आदित्यनाथ और स्टील का गिलास
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आमतौर पर सादगी के लिए जाने जाते हैं। जब उन्हें नींबू पानी परोसा गया तो उन्होंने विशेष आग्रह किया कि उन्हें स्टील के गिलास में ही पेय दिया जाए। उनके साथ मौजूद अधिकारी थोड़े चकित हुए, लेकिन उन्होंने तुरंत व्यवस्था कर दी। योगी ने कहा, “प्लास्टिक के ग्लास में स्वाद भी नहीं आता और सेहत के लिए भी अच्छा नहीं होता। बचपन से स्टील के गिलास की आदत है।”
सेक्रेटरी की मां की यादें
कार्यक्रम में मौजूद मुख्य अतिथियों से इतर, सबसे खास आकर्षण बनीं सेक्रेटरी की 82 वर्षीय मां, श्रीमती शारदा देवी। उन्होंने मंच पर बोलते हुए बताया, “जब मेरा बेटा पढ़ाई कर रहा था, तब मैंने उसके लिए हर रोज़ टिफिन में पराठा और अचार रखा। आज भी जब वो फाइलें लेकर आता है, मैं कहती हूं – पहले खाना खा लो, बाकी काम बाद में।”
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एक बार उनका बेटा प्रधानमंत्री कार्यालय में देर रात तक काम कर रहा था और उन्होंने फोन करके कहा, “अब बहुत हुआ, दूध पीकर सो जाओ।” इस पर सभी मेहमानों ने तालियों के साथ हँसते हुए इस मां के स्नेह और भावनाओं को सराहा।
मानवीय पक्ष की झलक
यह कार्यक्रम केवल एक सरकारी आयोजन नहीं था, बल्कि इसमें नेताओं और अधिकारियों के जीवन के वे पहलू सामने आए जो आमतौर पर लोगों को नहीं दिखते। उपराष्ट्रपति का पत्नी से किया मजाक, योगी आदित्यनाथ की सादगी और एक मां की ममता—इन सबने यह साबित कर दिया कि ऊँचे पदों पर बैठे लोग भी हमारी ही तरह भावनाओं से भरे इंसान हैं।
राजनीति और प्रशासन की कठोर दुनिया में भी कुछ लम्हे ऐसे होते हैं, जो इन चेहरों को और भी मानवीय बना देते हैं। ऐसे क्षणों को देख और सुनकर जनता इन नेताओं को और करीब से जान पाती है। यह आयोजन उसी मानवीयता का एक बेहतरीन उदाहरण बनकर सामने आया।