स्टांप चोरी रोकने की जिलाधिकारी की सख्ती ला रही रंग, अप्रैल माह के निरीक्षण में नहीं मिली कोई अनियमितता

मऊ: जनपद मऊ में स्टांप शुल्क चोरी रोकने को लेकर जिलाधिकारी श्री प्रवीण मिश्र द्वारा चलाया गया अभियान अब असर दिखाने लगा है। अप्रैल 2025 माह में पंजीकृत उच्च मालियत के विलेखों की गहन जांच के क्रम में जिलाधिकारी ने आज दो बड़े विलेखों का स्थलीय निरीक्षण किया, जिसमें कोई भी स्टांप शुल्क की कमी नहीं पाई गई।
जिलाधिकारी ने अप्रैल माह में पंजीकृत सबसे अधिक मूल्य वाले पांच विलेखों में से दो महत्वपूर्ण विक्रय विलेखों का स्थलीय निरीक्षण स्वयं किया।
पहला निरीक्षण विक्रय विलेख संख्या 2699, वर्ष 2025, मौजा भीटी, तहसील सदर, जिला मऊ में किया गया। यह विलेख मकान संख्या 343/2, रकबा 124 वर्ग मीटर से संबंधित था। विक्रेता श्रीमती मीना सिंह पत्नी अनिल सिंह एवं क्रेता श्रीमती सरिता वर्मा पत्नी विष्णु वर्मा थीं।
दूसरा निरीक्षण विक्रय विलेख संख्या 2430, वर्ष 2025, ख्वाजाजहांपुर, तहसील सदर, जिला मऊ में किया गया। इसमें आरा.सं. 182, रकबा 226.8 वर्गमीटर का उल्लेख था। विक्रेता अलेक्षेन्द्र विक्रम सिंह पुत्र कृष्ण देव नारायण सिंह एवं क्रेता श्री धीरेंद्र कुमार राय पुत्र हरिद्वार राय थे।
इन दोनों स्थलों पर निरीक्षण के दौरान दस्तावेजों में उल्लिखित भूमि व निर्माण की वास्तविक स्थिति का मिलान किया गया। निरीक्षण में पाया गया कि विलेखों में दर्ज मूल्यांकन सही है और स्टांप शुल्क की कोई कमी नहीं है।
जिलाधिकारी ने कहा कि ऐसे निरीक्षण लगातार जारी रहेंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि अब अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व), सहायक आयुक्त (स्टांप), उप जिलाधिकारी आदि अधिकारीगण भी पंजीकृत विलेखों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे। यदि किसी भी विलेख में स्टांप शुल्क में कमी पाई जाती है, तो संबंधित पक्षों पर भारी जुर्माना लगाते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मार्च माह में भी ऐसे ही निरीक्षण के दौरान बड़ी मालियत के विलेख में स्टांप शुल्क चोरी पकड़ी गई थी। उस समय स्वयं जिलाधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी श्री सत्यप्रिय सिंह के नेतृत्व में की गई जांच में यह मामला सामने आया था।
जिलाधिकारी श्री प्रवीण मिश्र का स्पष्ट निर्देश है कि जनपद की प्रत्येक तहसील में पंजीकृत पांच सबसे बड़ी मालियत वाले विलेखों का स्थलीय निरीक्षण अनिवार्य रूप से किया जाए। इसका उद्देश्य स्टांप शुल्क चोरी जैसे राजस्व क्षति कारक तत्वों को समाप्त करना है।
इस सख्ती का ही परिणाम है कि अप्रैल माह के निरीक्षण में संबंधित विलेखों में कोई भी अनियमितता नहीं पाई गई, जो कि प्रशासन की सतर्कता और पारदर्शिता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।