अयोध्या: राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक समाप्त, प्रमुख चुनौतियों पर मंथनपारकोटा’ निर्माण और स्वर्ण सज्जा पर विचार जारी

अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक रविवार को सम्पन्न हो गई। बैठक के अंतिम दिन समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि मंदिर निर्माण कार्य की प्रगति के साथ-साथ अब आर्थिक पहलुओं और सौंदर्य सज्जा पर भी गंभीर विचार हो रहा है.
नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया, “मंदिर निर्माण के लिए अब तक प्राप्त दान की राशि का आकलन किया जा रहा है। इस राशि के निर्धारण के बाद ही यह फैसला लिया जाएगा कि मंदिर में कितना सोना लगाया जाएगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि विशेषकर प्रथम तल के द्वारों को सोने से मढ़ने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन यह निर्णय अभी लंबित है।
अध्यक्ष ने यह भी स्वीकार किया कि वर्तमान समय में समिति के सामने सबसे बड़ी चुनौती ‘पारकोटा’—यानी मंदिर की चारदीवारी या रक्षात्मक परकोटे—का निर्माण है। इस कार्य पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है और निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा, “पारकोटा का कार्य तकनीकी रूप से जटिल है, और इसे भव्यता व सुरक्षा दोनों दृष्टिकोणों से मजबूत बनाना है।”
राम मंदिर का गर्भगृह पहले ही पूरी तरह तैयार हो चुका है और दर्शन के लिए आमजन हेतु जनवरी 2024 में खोल दिया गया था। अब अन्य संरचनाएं जैसे कि द्वितीय एवं तृतीय तल, सिंह द्वार, यज्ञशाला, सीढ़ियाँ, और रामायणकालीन प्रतीकों का निर्माण कार्य तेज़ गति से जारी है।
राम मंदिर केवल एक धार्मिक केंद्र ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल बन रहा है। मंदिर परिसर में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र और भक्त निवास भी प्रस्तावित हैं।
अध्यक्ष ने यह भी संकेत दिया कि मंदिर की सज्जा में सोने के उपयोग और पारकोटा से जुड़े अंतिम निर्णय समिति की आगामी बैठकों में लिये जाएंगे।