अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भोजपुर के महाराजा महाविद्यालय में भव्य योग शिविर का आयोजन

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद, आरा (बिहार)

भोजपुर:अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर भोजपुर जिले के प्रतिष्ठित महाराजा महाविद्यालय, आरा के परिसर में एक भव्य और प्रेरणादायी योग शिविर का आयोजन किया गया। इस आयोजन की अगुवाई जिला स्वीप भोजपुर एवं राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवकों ने की। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्रों, स्वयंसेवकों और योग प्रेमियों ने भाग लिया और योग के लाभों को आत्मसात किया।

इस योग शिविर में जिला गंगा समिति भोजपुर के डीपीओ श्री अमित सिंह ने योग प्रशिक्षक की भूमिका निभाई। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को विभिन्न योगासन, प्राणायाम और ध्यान विधियों का अभ्यास कराया। साथ ही उन्होंने योग के सात चक्रों — मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्रार — की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्ता को विस्तार से समझाया।

ये चक्र केवल आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र नहीं, बल्कि हमारे शरीर, मन और भावनाओं के संतुलन के भी मूल आधार हैं। इन्हें योग के माध्यम से सक्रिय कर हम अपने जीवन में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।”

इस वर्ष का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 11वां संस्करण था, जिसकी थीम रही –
“एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” (Yoga for One Earth, One Health)
इस विषय के माध्यम से योग को एक वैश्विक स्वास्थ्य समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया।

प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में कई गणमान्य शिक्षाविद और संस्था प्रतिनिधि उपस्थित रहे। जिनमें प्रमुख हैं:
श्री अभय मिश्रा – हेड ऑफ बीसीए डिपार्टमेंट, महाराजा महाविद्यालय
अरुण राय – इतिहास विभाग, महाराजा महाविद्यालय
समीर सिंह – कैंपस एंबेसेडर
नीतीश कुमार सिंह – दल नायक, राष्ट्रीय सेवा योजना
राष्ट्रीय सेवा योजना एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के अन्य स्वयंसेवक

कार्यक्रम को सफल बनाने में NSS और NCC के कई युवा स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिनमें प्रमुख नाम हैं:
प्रवीन कुमार, अविनाश कुमार, अमित कुमार, साक्षी कुमारी, राजवीर सिंह, आलोक कुमार, नीतीश कुमार एवं पवन कुमार। इन सभी ने आयोजन की योजना, संयोजन और संचालन में अपनी समर्पित सेवा दी।

इस आयोजन ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है जो शांति, संतुलन और स्वास्थ्य प्रदान करती है। युवा पीढ़ी में योग को लेकर बढ़ती रुचि और जागरूकता ने यह साबित कर दिया कि भारत की यह प्राचीन परंपरा अब वैश्विक चेतना में स्थायी स्थान बना चुकी है।

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