Saturday , May 4 2024
Breaking News

ईडी अफसर के बाद भाजपा विधायक के साथ-साथ अब वकील के रूप में भी दिखे लखनऊ से चर्चित भाजपा विधायक !


सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने पहुंचे डॉ. राजेश्वर सिंह, CJI के कोर्ट नंबर 1 में की बहस

खाकी और खादी के बाद डॉ. राजेश्वर सिंह ने पहना काला कोट, सुप्रीम कोर्ट में अपने पहले केस पर की बहस


लखनऊ : खाकी के बाद खादी पहनने वाले डॉ. राजेश्वर सिंह के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने राजेश्वर सिंह ने वकालत की नई पारी शुरू की है। 

शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह वकालत करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। राजेश्वर सिंह ने बतौर एडवोकेट अपने कैरियर के पहले केस में बहस की। इस केस की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में थी।

डॉ. राजेश्वर सिंह की इस नई पारी के लिए लोगों ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी। वो अपने विधानसभा की उन्नति के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। चाहे वो क्षेत्र की सड़क समस्या हो, दिव्यांगों को हक दिलाने की बात हो या युवाओं के रोजगार की बात हो, जनहित के लिए राजेश्वर सिंह ने कई कार्य किए हैं। जनता उनके कार्यशैली से बेहद प्रभावित है।

डॉ राजेश्वर सिंह ने ट्वीटर के माध्यम से अपने प्रशंसकों का आभार जताया उन्होंने कहा कि सरोजनीनगर का विकास और क्षेत्र के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना मेरी प्राथमिकता है न्यायपालिका को जनहित की प्रहरी बताते हुए उन्होंने कहा एक अधिवक्ता के रूप में मैं अब जनता की अपेक्षाओं की पूर्ति व अधिकार सुरक्षित करने हेतु भारत के सर्वोच्च न्यायालय तक स्वयं साथ खड़ा रहूँगा।

बता दें कि डॉ. सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय में संयुक्त निदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद लखनऊ के सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और 56 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की।

राजेश्वर सिंह जिन महत्वपूर्ण जांच से जुड़े रहे हैं, उनमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी योजना घोटाला, गोमती रिवरफ्रंट घोटाला। 

ईडी अधिकारी के रूप में उनके आदेशों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) निवारण अधिनियम के तहत 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई थी। 

डॉ राजेश्वर ने 1997 में लखनऊ में पुलिस उपाधीक्षक के रूप में अपनी नौकरी शुरू की। 10 साल की पुलिस सेवा में 20 से अधिक कुख्यात अपराधियों का एनकाउंटर किया जिसके बाद उन्हें ‘सुपर कॉप’ और ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ के रूप में जाना जाने लगा। उन्हें उनके काम और ईमानदारी के लिए 2005 में राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।