उत्तराखंड: केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के अलावा चाहिए ‘स्टेट नीड ग्रांट’, वित्त आयोग के सामने प्रमुखता से उठाया गया मुद्दा


Report By: स्पेशल डेस्क

देहरादून:उत्तराखंड सरकार ने आगामी वित्तीय वर्षों के लिए अपनी जरूरतों और विकास योजनाओं को ध्यान में रखते हुए वित्त आयोग के समक्ष एक महत्वपूर्ण मांग रखी है। राज्य ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केवल केंद्रीय करों में हिस्सेदारी से उसकी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो सकती। इसके साथ ही राज्य ने ‘स्टेट नीड ग्रांट’ की भी आवश्यकता जताई है, जिसे आयोग के समक्ष प्रमुखता से उठाया गया है।
राज्य की विशेष परिस्थितियाँ बनीं आधार
उत्तराखंड सरकार का कहना है कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियाँ, सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा की चुनौतियाँ, आपदा प्रबंधन की निरंतर आवश्यकता और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था की सीमाएं उसे अन्य राज्यों की तुलना में अधिक संवेदनशील बनाती हैं। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य ने ‘स्टेट नीड ग्रांट’ की मांग की है, ताकि विकास कार्यों में गति लाई जा सके।
वित्त आयोग के समक्ष पेश किए गए दस्तावेजों में राज्य सरकार ने बताया कि पर्वतीय इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और सिंचाई जैसी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता की जरूरत है।
सीमित संसाधन, बढ़ती जिम्मेदारियाँ
उत्तराखंड एक छोटा राज्य होने के साथ-साथ सीमित संसाधनों वाला प्रदेश भी है। प्राकृतिक आपदाओं की आशंका हमेशा बनी रहती है। बीते वर्षों में केदारनाथ और जोशीमठ जैसे क्षेत्रों में आई आपदाएं इस बात का सबूत हैं कि राज्य को निरंतर आपदा-प्रबंधन और पुनर्वास के कार्यों पर खर्च करना पड़ता है।
इसके अतिरिक्त राज्य की राजस्व वसूली क्षमता सीमित है। औद्योगिक इकाइयों की संख्या कम होने के कारण रोजगार के अवसरों की कमी और पलायन जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि राज्य के लिए संजीवनी का कार्य कर सकती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड की विशेष परिस्थिति को देखते हुए हमें अतिरिक्त वित्तीय सहयोग की आवश्यकता है। हमारी मांग है कि स्टेट नीड ग्रांट के तहत हमें अधिक सहायता मिले, ताकि हम पर्वतीय और सीमावर्ती क्षेत्रों का समुचित विकास कर सकें। केंद्र से अपेक्षा है कि वह हमारी वास्तविक जरूरतों को समझेगा।”
आयोग से उम्मीदें
राज्य को उम्मीद है कि 16वें वित्त आयोग की सिफारिशों में उसकी मांगों को स्थान मिलेगा और उसे अतिरिक्त वित्तीय संसाधन मुहैया कराए जाएंगे। इससे न केवल राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी, बल्कि पर्यटन, कृषि, और रोजगार के क्षेत्र में भी नई

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