बिहार में न्यूक्लियर पॉवर प्लांट की स्वीकृति राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक मोड़

Report By: तारकेश्वर प्रसाद

ईस्टर्न रिजन पावर मिनिस्टर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार को एक बड़ी सौगात मिली है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस बैठक में यह घोषणा की कि केंद्र सरकार बिहार में न्यूक्लियर पॉवर प्लांट (परमाणु ऊर्जा संयंत्र) स्थापित करने की सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है। यह निर्णय राज्य की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

बिहार लंबे समय से बिजली संकट और निर्भरता की स्थिति से जूझता रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा, जल विद्युत और ताप विद्युत पर बल दिया है, फिर भी बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच अब भी अंतर बना हुआ है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र से राज्य को स्थायी, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत मिलेगा।


केंद्रीय मंत्री खट्टर ने कहा,
“बिहार की ऊर्जा ज़रूरतों और विकास की आकांक्षाओं को देखते हुए केंद्र सरकार इस राज्य में न्यूक्लियर पॉवर प्लांट लगाने के लिए तैयार है। स्थान चिन्हित करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी, और सभी वैज्ञानिक व पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जाएगा।”

बिहार सरकार की ओर से ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र यादव ने इस प्रस्ताव पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार केंद्र के इस निर्णय का स्वागत करती है और हर आवश्यक सहयोग देने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही संभावित ज़िलों की सूची तैयार कर DAE (Department of Atomic Energy) को भेजेगी।

न्यूक्लियर पॉवर प्लांट का निर्माण केवल ऊर्जा उत्पादन ही नहीं, बल्कि बिहार में बुनियादी ढांचे, स्थानीय रोज़गार और तकनीकी प्रशिक्षण के नए अवसर भी लाएगा। इसके ज़रिए राज्य में बड़े स्तर पर निवेश आकर्षित हो सकेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।


हालांकि अभी तक स्थान की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन गया, आरा, और पश्चिम चंपारण जैसे ज़िलों के नाम चर्चा में हैं, जहां पर्यावरणीय और भौगोलिक परिस्थितियाँ न्यूक्लियर प्लांट के अनुकूल मानी जाती हैं।

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