ट्रैफिक चालान का बुरा हाल: भारत में हर दूसरे वाहन पर चालान! 2024 में ₹12,000 करोड़ के जुर्माने, लेकिन 75% अब भी बकाया

Report By: स्पेशल डेस्क
भारत की सड़कों पर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कोई नई बात नहीं है, लेकिन 2024 में जो आँकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में देशभर में कुल ₹12,000 करोड़ रुपये के ट्रैफिक चालान जारी किए गए हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनमें से 75% जुर्माने अब तक वसूले नहीं जा सके हैं।
हर दूसरा वाहन बना नियम उल्लंघन का दोषी
देश में हर दूसरा वाहन ट्रैफिक नियम तोड़ने के कारण चालान की जद में आ चुका है। चाहे वह बिना हेलमेट दोपहिया चालक हो, रेड लाइट क्रॉस करने वाली कार, या फिर तेज़ रफ्तार से दौड़ती बस—हर तरह के नियमों की अनदेखी के मामले सामने आ रहे हैं।
सड़क परिवहन मंत्रालय और राज्य परिवहन विभागों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 से अप्रैल 2025 तक लगभग 9 करोड़ ई-चालान काटे गए। इनका कुल मूल्य ₹12,000 करोड़ से अधिक है, लेकिन इनमें से ₹9,000 करोड़ अब भी बकाया है।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा चालान?
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और कर्नाटक उन शीर्ष राज्यों में शामिल हैं जहाँ सबसे अधिक ट्रैफिक चालान दर्ज किए गए हैं। केवल दिल्ली में ही 2024 के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा चालान काटे गए जिनकी राशि ₹1,500 करोड़ से अधिक है।
ई-चालान सिस्टम: तकनीक ने पकड़ी रफ्तार, लेकिन वसूली धीमी
ट्रैफिक नियमों को लागू करने में ई-चालान सिस्टम एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। हाई-टेक कैमरों और सेंसर के ज़रिए ऑटोमैटिक चालान जारी किए जा रहे हैं। हालांकि, लाखों वाहन चालक चालान भरने से बचने के तरीके खोज रहे हैं—कुछ पुराने पते पर पंजीकरण करवाते हैं, तो कुछ वाहन बेचने के बाद चालान का बोझ नए मालिक पर डाल देते हैं।
क्या कहती है सरकार?
सरकार का कहना है कि ई-चालान व्यवस्था से पारदर्शिता आई है और नियमों के पालन में सुधार भी हुआ है। सड़क परिवहन मंत्रालय एक नई योजना पर भी काम कर रहा है, जिसके तहत चालान न भरने वालों पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा—जैसे गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द करना या गाड़ी जब्त करना।
सड़क सुरक्षा पर सवाल
ट्रैफिक नियमों की अनदेखी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह सड़क पर हर व्यक्ति की जान को खतरे में डालता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में देश में सड़क हादसों में लगभग 1.6 लाख लोगों की मौत हुई थी—इनमें से अधिकतर मामलों में स्पीड लिमिट का उल्लंघन, नशे में ड्राइविंग और हेलमेट/सीट बेल्ट का न पहनना प्रमुख कारण थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल चालान काटना ही काफी नहीं है, बल्कि ट्रैफिक नियमों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना जरूरी है। स्कूल स्तर से ही सड़क सुरक्षा की शिक्षा दी जानी चाहिए और जुर्माने की वसूली के लिए सख्त तंत्र विकसित करना होगा।