मथुरा: हंगामे और तीखी बहस के बीच बांके बिहारी कॉरिडोर प्रस्ताव को मिली मंजूरी

Report By: उत्तर प्रदेश डेस्क
मथुरा: वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण को लेकर मथुरा नगर निगम की एक विशेष बैठक मंगलवार को बृजवासी लेसन होटल में आयोजित की गई। इस बैठक में मथुरा के महापौर विनोद अग्रवाल, नगर आयुक्त जग प्रवेश, और नगर निगम के 70 वार्डों के पार्षदों ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान तीखी नोकझोंक और हंगामे का माहौल रहा, लेकिन अंततः बहुमत के आधार पर बांके बिहारी कॉरिडोर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
बैठक में क्या हुआ?
मथुरा नगर निगम की इस विशेष बैठक का मुख्य उद्देश्य श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण से संबंधित प्रस्ताव पर चर्चा और उसकी मंजूरी था। बैठक में उपस्थित अधिकांश पार्षदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन वृंदावन के दो से तीन पार्षदों ने इसका विरोध जताया। विरोध करने वाले पार्षदों का कहना था कि इस परियोजना से स्थानीय लोगों और व्यापारियों को असुविधा हो सकती है, साथ ही मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को नुकसान पहुंचने का खतरा है।
नगर आयुक्त जग प्रवेश ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, “श्री बांके बिहारी मंदिर मथुरा नगर निगम की सीमा के अंतर्गत आता है, इसलिए इस प्रस्ताव पर नगर निगम की मंजूरी आवश्यक थी। हमने सभी पार्षदों की राय सुनी और बहुमत के आधार पर यह प्रस्ताव पारित किया गया। जिन पार्षदों ने आपत्तियां दर्ज की हैं, उनकी बातों पर भी विचार किया जाएगा और उचित समाधान निकाला जाएगा।”
हंगामे और तनाव का माहौल
बैठक के दौरान कई बार स्थिति तनावपूर्ण हो गई। सूत्रों के अनुसार, कुछ पार्षदों के बीच तीखी बहस हुई, जो एक समय हाथापाई तक पहुंचने की कगार पर थी। हालांकि, मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों और आयोजकों के हस्तक्षेप के बाद स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया। कुछ पार्षदों ने आरोप लगाया कि प्रस्ताव को जल्दबाजी में पास किया गया, जबकि अन्य का मानना था कि यह कॉरिडोर मंदिर के दर्शनार्थियों के लिए सुविधा और व्यवस्था में सुधार लाएगा।
बांके बिहारी कॉरिडोर का महत्व
श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करना और दर्शन को और सुगम बनाना है। इस परियोजना के तहत मंदिर के आसपास के क्षेत्र को व्यवस्थित करने, सड़कों का चौड़ीकरण, और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने की योजना है। यह परियोजना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे वृंदावन में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, इस परियोजना को लेकर स्थानीय स्तर पर कुछ विवाद भी सामने आए हैं। कई स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का मानना है कि कॉरिडोर निर्माण से उनकी आजीविका प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, कुछ लोग मंदिर की प्राचीन संरचना और परंपराओं पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है। कोर्ट ने इस परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मथुरा नगर निगम की इस मंजूरी के बाद अब यह प्रस्ताव आगे की प्रक्रिया के लिए संबंधित अधिकारियों और कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
मथुरा नगर निगम के इस फैसले के बाद अब सभी की निगाहें इस परियोजना के अगले चरणों पर टिकी हैं। नगर आयुक्त ने आश्वासन दिया है कि सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना को लागू किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों और व्यापारियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
बैठक के बाद वृंदावन के कुछ स्थानीय निवासियों ने इस फैसले का स्वागत किया, जबकि कुछ ने इसे जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताया। एक स्थानीय व्यापारी, रमेश चंद्र ने कहा, “कॉरिडोर से श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, लेकिन हमें डर है कि हमारी दुकानें और व्यवसाय प्रभावित हो सकते हैं। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।” वहीं, एक श्रद्धालु, श्याम सुंदर शर्मा ने कहा, “यह कॉरिडोर मंदिर में दर्शन को और सुगम बनाएगा। इससे वृंदावन की खूबसूरती और व्यवस्था में सुधार होगा।”
श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर प्रस्ताव की मंजूरी मथुरा और वृंदावन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि मंदिर परिसर में व्यवस्था और सुविधाओं को बेहतर बनाने में भी मदद करेगी। हालांकि, स्थानीय लोगों की चिंताओं और आपत्तियों को दूर करने के लिए सरकार और प्रशासन को संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा।