बिहार का पहला मॉडल अस्पताल शाम 5 बजे के बाद हो जाता है बंद, मरीज परेशान

Report By : तारकेश्वर प्रसाद

आरा बिहार : भोजपुर जिले में करोड़ों की लागत से बने बिहार के पहले मॉडल अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं में भारी लापरवाही सामने आ रही है। सरकार ने बेहतर इलाज की सुविधा देने के उद्देश्य से इस अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिया था, लेकिन यहां मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

राज्य सरकार के नए नियम के अनुसार, 1 मार्च 2025 से सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं सुबह और शाम दोनों समय उपलब्ध कराई जानी हैं। नियम के तहत शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक डॉक्टरों को ओपीडी में मौजूद रहना अनिवार्य किया गया है। लेकिन आरा सदर अस्पताल और बिहार के पहले मॉडल अस्पताल में यह नियम केवल कागजों तक ही सीमित नजर आ रहा है।

शाम 5 बजे के बाद डॉक्टर नदारत, मरीज भटकने को मजबूर
आरा सदर अस्पताल में शाम 4:30 से 5:00 बजे के बीच ही ओपीडी विभागों में ताले लटकने लगते हैं। मरीज और उनके परिजन डॉक्टरों की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिलती। इस अव्यवस्था की शिकायत एक दिन पहले अस्पताल के डिप्टी सर्जन राजीव कुमार को दी गई थी। उन्होंने इसे सुधारने और सभी डॉक्टरों को नोटिस जारी करने का आश्वासन दिया था।

लेकिन 20 मार्च 2025 को फिर से शाम 5:00 बजे के बाद ओपीडी विभाग के सभी चेंबर बंद मिले। जब इसकी सूचना अस्पताल के सिविल सर्जन शिवेंद्र कुमार सिन्हा को दी गई, तो उन्होंने केवल नोटिस जारी करने की बात कहकर फोन काट दिया। वहीं, जब अस्पताल प्रबंधन और डिप्टी सर्जन राजीव रंजन राय से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनके ऑफिस पर भी ताला लटका मिला और उन्होंने किसी भी कॉल का जवाब नहीं दिया।

इमरजेंसी में शव घंटों से पड़ा, प्रशासन बेखबर
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का एक और बड़ा उदाहरण इमरजेंसी वार्ड के माइनर ओटी में देखने को मिला, जहां 20 मार्च की सुबह 11:00 बजे से एक अज्ञात अधेड़ व्यक्ति का शव रखा था। खबर लिखे जाने तक शव को वहां से हटाया नहीं गया था और न ही अस्पताल प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई की थी।

स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठते सवाल
बिहार सरकार ने आरा सदर अस्पताल को एक मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए थे, लेकिन अस्पताल की अव्यवस्था और डॉक्टरों की गैर-मौजूदगी ने इसे भगवान भरोसे छोड़ दिया है। भोजपुर जिले के मरीजों को इलाज के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मरीजों और उनके परिजनों ने इस अव्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर की है। लोगों का कहना है कि सरकार ने तो अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें सिर्फ मायूसी ही हाथ लग रही है। अगर स्वास्थ्य विभाग जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं करता है, तो मरीजों को इलाज के लिए कहीं और जाने को मजबूर होना पड़ेगा।

Mukesh Kumar

मुकेश कुमार पिछले 3 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने सर्वप्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सशक्त प्रदेश, साधना एमपी/सीजी टीवी मीडिया में संवाददाता के पद पर कार्य किया है, वर्तमान में कर्मक्षेत्र टीवी वेबसाईट में न्यूज इनपुट डेस्क पर कार्य कर रहे है !

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