पुस्तक लोकार्पण सह अभिनन्दन समारोह ‘संस्कृत साहित्य’ और ‘साहित्यसेवियों’ को समर्पित भव्य आयोजन


रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद, आरा (बिहार)

आरा: संस्कृत एवं साहित्य साधना की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, महावीर टोला स्थित पाठक स्मार्ट क्लासेज में संस्कृत प्रसार परिषद् द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण सह अभिनंदन समारोह साहित्यिक गरिमा और भावनात्मक सौंदर्य का अद्भुत संगम बना। इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण और साथ ही विशिष्ट विद्वानों के सम्मान से जुड़ा आयोजन रहा, जिसने आरा की धरती को एक बार फिर ज्ञान और संस्कृति की गूंज से भर दिया।

लोकार्पित पुस्तकें: परंपरा और समर्पण का प्रतीक
समारोह में श्री कमलाकांत उपाध्याय द्वारा रचित तथा वामदेव उपाध्याय द्वारा संपादित ‘पीत पाटली’ नामक हिंदी-संस्कृत काव्य-संग्रह का विमोचन किया गया। साथ ही, आरा के प्रसिद्ध विद्वान पंडित ब्रजभूषण मिश्र ‘आक्रांत’ जी की स्मृति में प्रकाशित ‘आक्रान्तविलसितम्’ पुस्तक का भी विमोचन हुआ, जिसके संपादक डॉ. सुनील कुमार प्रधान हैं। इन दोनों पुस्तकों का लोकार्पण प्रख्यात संस्कृतविद् प्रो. गोपबंधु मिश्र (पूर्व कुलपति, श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल, गुजरात), वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. दिवाकर पांडेय (विभागाध्यक्ष, भोजपुरी विभाग, वी.के.एस.यू.) तथा संस्कृत प्रसार परिषद् के अध्यक्ष डॉ. वेदनिधि शर्मा द्वारा संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत: दीप और श्रद्धा के आलोक में
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती और पं. आक्रांत जी के चित्र पर पुष्पांजलि से हुई। वैदिक मंगलाचरण की प्रस्तुति अंकित मिश्र ने दी जबकि सरस्वती वंदना धरणीधर और नम्रता पाठक ने प्रस्तुत की। परिषद् के सचिव डॉ. नीलमणि पाठक ने अतिथियों का वाचिक स्वागत किया।

पुस्तकों पर विचार और स्मृतियों का संकलन
डॉ. सुनील प्रधान ने ‘आक्रान्तविलसितम्’ पर विचार व्यक्त करते हुए आक्रांत जी की स्मृति में भावभीनी श्रद्धांजलि दी। वहीं वामदेव उपाध्याय ने ‘पीत पाटली’ की भावभूमि और रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात प्रभात जी, विनय, संजय कुमार चौबे सहित कई वक्ताओं ने आक्रांत जी और प्रो. गोपबंधु मिश्र जी के साथ बिताए अनुभवों और संस्मरणों को साझा किया।

गोपबंधु मिश्र का सम्मान: साधना की पराकाष्ठा को प्रणाम
इस कार्यक्रम में प्रो. गोपबंधु मिश्र को उनके शिष्यों द्वारा सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में विशेष रूप से सम्मानित किया गया। विदित हो कि प्रो. मिश्र ने महाराजा कॉलेज, जैन कॉलेज, वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय से लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक अध्यापन एवं शोध कार्य किया। वे फ्रांस में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे और श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दीं। अपने उद्बोधन में उन्होंने आक्रांत जी को ऊर्जा का असीम स्रोत बताया और कहा कि वे आरा को कभी नहीं भूले। उन्होंने आरा से जुड़ी अपनी अनेक मधुर स्मृतियाँ साझा कीं और ‘आरण्यकम्’ पत्रिका की चर्चा करते हुए संस्कृत की सेवा के लिए जीवन समर्पित करने का संकल्प दोहराया।

साहित्यिक श्रद्धांजलि: ‘जेठ में सावन’ जैसी अनुभूति
विशिष्ट अतिथि प्रो. दिवाकर पांडेय ने निराला की पंक्तियाँ उद्धृत करते हुए कहा – “आज मन पावन हुआ है, जेठ में सावन हुआ है।” उन्होंने प्रो. मिश्र की विद्वता और साधना की प्रशंसा करते हुए उन्हें “सरस्वती का वरद पुत्र” बताया और उनकी शिक्षा-यात्रा को प्रेरणास्पद करार दिया।

कृतज्ञता और विद्या की एक सजीव छवि
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. वेदनिधि शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पं. आक्रांत सहित आरा के अन्य विद्वानों की स्मृति को श्रद्धा से स्मरण किया। कार्यक्रम का संचालन नम्रता पाठक ने कुशलता से किया तथा धन्यवाद ज्ञापन पाठक स्मार्ट क्लासेज के निदेशक श्री शशि पाठक ने किया। अंत में शांति पाठ अंकित मिश्र द्वारा किया गया।

उपस्थिति और योगदान
कार्यक्रम में पं. आक्रांत जी और प्रो. गोपबंधु मिश्र के शिष्यगण, चाहने वाले, छात्र, विद्वानगण तथा नगर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इस आयोजन की सफलता में संस्कृत प्रसार परिषद् के सचिव डॉ. नीलमणि पाठक एवं कोषाध्यक्ष श्री विश्वनाथ राम का विशेष योगदान रहा।

Related Articles

Back to top button