कानपुर देहात में अवैध हिरासत और 10 लाख की वसूली का मामला: पुलिस पर मानवाधिकार उल्लंघन और शक्ति के दुरुपयोग के आरोप

Report By : स्पेशल डेस्क
कानपुर देहात : जिले की कोतवाली अकबरपुर पुलिस एक बार फिर विवादों में है। चार युवकों—संदीप सिंह, विवेक सिंह, दिलीप सिंह और सुनील कुमार—को पिछले तीन दिनों से थाने में अवैध रूप से हिरासत में रखने और उनके परिजनों से 10 लाख रुपये की भारी-भरकम अवैध वसूली करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। परिजनों का कहना है कि इस वसूली से संबंधित कई पुख्ता साक्ष्य उनके पास हैं, जिनमें ऑडियो रिकॉर्डिंग, बैंक ट्रांजैक्शन डिटेल्स और व्हाट्सएप चैट शामिल हैं।
यह मामला न केवल कानपुर देहात बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। पुलिस का यह रवैया दर्शाता है कि किस प्रकार कुछ अधिकारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। यदि हिरासत में लिए गए युवकों के खिलाफ कोई कानूनी आरोप थे, तो उन्हें अब तक कोर्ट में क्यों पेश नहीं किया गया? न तो कोई एफआईआर दर्ज की गई है, न ही कोई औपचारिक पूछताछ प्रक्रिया अपनाई गई है।
मानवाधिकार संगठनों ने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र और मानव गरिमा के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह घटना संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है और इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। यदि आरोप सत्य साबित होते हैं, तो यह मामला पुलिसिया दमन और भ्रष्टाचार का एक ज्वलंत उदाहरण बन जाएगा।
स्थानीय समाजसेवियों, वकीलों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। कई सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि आरोपी पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ आईपीसी की सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए।
फिलहाल, पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यदि सरकार इस पर चुप्पी साधे रखती है, तो यह लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर करने वाला कदम माना जाएगा। आमजन के अधिकारों की सुरक्षा तभी संभव है, जब कानून के रक्षक खुद कानून के दायरे में रहें।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आवश्यक है कि इसकी निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को जल्द से जल्द न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा दी जाए। यह घटना एक चेतावनी है कि अगर पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की गई, तो आम जनता का कानून पर से भरोसा उठ जाएगा।