समर कैंप में बच्चों ने बनाए कपड़े-जूट के थैले, दिया पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त भारत का संदेश

रिपोर्ट:श्रवण कुमार यादव, बाराबंकी
बाराबंकी:राजकीय हाई स्कूल मित्तई, देवा में इन दिनों चल रहे समर कैंप में बच्चों में रचनात्मकता और सामाजिक जागरूकता का समावेश देखते ही बन रहा है। कैंप के 17वें दिन आज विद्यालय परिसर में एक विशेष आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, बल्कि इसे अमल में लाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की प्रधानाध्यापिका दीपमाला वर्मा ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया। इसके बाद सुबह के प्रथम सत्र में बच्चों को योग और व्यायाम के माध्यम से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया गया।
प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली पर विशेष कार्यशाला
द्वितीय सत्र में विद्यालय की शिक्षिका अनीता रावत द्वारा पर्यावरण संरक्षण विषय पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका केंद्र बिंदु था – “प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली”। उन्होंने सिंगल यूज और मल्टी यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभावों की विस्तृत जानकारी दी और दैनिक जीवन में प्लास्टिक के विकल्पों को अपनाने की प्रेरणा दी।
इस दौरान बच्चों को कपड़े और जूट के थैले बनाने की विधि भी सिखाई गई। शिक्षिका अनीता रावत और प्रधानाध्यापिका दीपमाला वर्मा के मार्गदर्शन में बच्चों ने स्वयं समूहों में बंटकर कागज के लिफाफे, जूट और पुराने कपड़ों से थैले तैयार किए, जो न केवल पर्यावरण अनुकूल हैं, बल्कि स्वावलंबन की दिशा में भी एक प्रयास हैं।
प्रधानाध्यापिका दीपमाला वर्मा ने बच्चों को इन थैलों के पर्यावरणीय लाभों के बारे में बताते हुए कहा,
आज के समय में प्लास्टिक को अलविदा कहकर प्राकृतिक और पुनः प्रयोग में लाए जा सकने वाले विकल्पों को अपनाना बेहद जरूरी है। कपड़े और जूट के थैले केवल पर्यावरण के लिए बेहतर नहीं, बल्कि एक आत्मनिर्भर जीवनशैली की भी ओर इशारा करते हैं।”
भारत में जूट की महत्ता पर जानकारी
इसी क्रम में शिक्षिका भावना ने बच्चों को जूट के उत्पादन, इसके प्राकृतिक स्रोत और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य की अग्रणी भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कैसे जूट उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल देता है और प्लास्टिक का उत्कृष्ट विकल्प बनता है।
खेलकूद और पुरस्कार वितरण से बढ़ा उत्साह
कार्यक्रम के अंतिम चरण में एक बोरी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता में विजेता रहे बच्चों को पुरस्कृत कर उनका उत्साहवर्धन किया गया।
अंत में सभी प्रतिभागियों को स्वच्छता और पोषण का ध्यान रखते हुए जलपान वितरित किया गया और कार्यक्रम का समापन सामूहिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
संक्षेप में यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के लिए रचनात्मकता और कौशल विकास का मंच बना, बल्कि पर्यावरण के प्रति एक जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा भी दी।
राजकीय हाई स्कूल मित्तई का यह प्रयास निश्चित ही आने वाले समय में बच्चों के व्यवहार और सोच में स्थायी सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होगा।