बेटियों का कमाल! एनडीए से 17 महिला कैडेट्स का पहला बैच पासआउट, श्रीति दक्ष ने दादी को दिया इसका क्रेडिट

Report By: स्पेशल डेस्क
रक्षा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को एक नया आयाम देते हुए, नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA), खडकवासला से इतिहास रचते हुए पहली बार 17 महिला कैडेट्स ने पासआउट होकर देश की सेवा में कदम रखा। इस ऐतिहासिक अवसर पर पूरे देश की निगाहें पुणे स्थित एनडीए पर टिकी थीं, जहां इन जांबाज बेटियों ने परेड ग्राउंड पर अनुशासन, समर्पण और साहस का शानदार प्रदर्शन किया।
श्रीति दक्ष बनीं प्रेरणा का स्रोत, दिया दादी को श्रेय
इस बैच की खास बात रही श्रीति दक्ष, जो अपने अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सेवा भाव के लिए उल्लेखनीय रहीं। श्रीति ने मीडिया से बात करते हुए अपने इस मुकाम का सारा श्रेय अपनी दादी को दिया। उन्होंने कहा, “मेरी दादी ने मुझे हमेशा प्रेरित किया कि मैं सिर्फ सपने न देखूं, उन्हें पूरा भी करूं। जब पूरे गांव ने मुझसे कहा कि फौज लड़कियों का काम नहीं, तब मेरी दादी ने मेरा हाथ पकड़कर कहा – तू जरूर करेगी!”
महिला कैडेट्स का साहस और संघर्ष
एनडीए की कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना आसान नहीं होता, खासकर तब जब आप पहली महिला बैच का हिस्सा हों। इन कैडेट्स को शारीरिक, मानसिक, और रणनीतिक स्तर पर उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया गया, जो अब तक सिर्फ पुरुष कैडेट्स के लिए ही आरक्षित था। इनमें से कई महिला कैडेट्स ग्रामीण पृष्ठभूमि से थीं, जिन्होंने सामाजिक चुनौतियों और पारिवारिक विरोध को पार करते हुए यह मुकाम हासिल किया।
एनडीए में महिलाओं की शुरुआत: एक लंबा सफर
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद 2021 में एनडीए ने पहली बार महिलाओं को प्रवेश देना शुरू किया था। इस फैसले ने ना केवल लिंग समानता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित किया, बल्कि भारतीय रक्षा सेवाओं में एक नए युग की शुरुआत भी की। एनडीए में महिलाओं का चयन संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के माध्यम से हुआ और उन्हें पुरुष कैडेट्स के साथ समान प्रशिक्षण दिया गया।
सेना प्रमुख का बयान
एनडीए पासआउट परेड में उपस्थित थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने महिला कैडेट्स की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “यह केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की बेटियों के लिए प्रेरणा है। हम इन महिला कैडेट्स को न केवल एक अधिकारी के रूप में देख रहे हैं, बल्कि एक नई पीढ़ी के रोल मॉडल के रूप में भी।”
भविष्य की राह
अब जब ये 17 महिला कैडेट्स अपने-अपने प्रशिक्षण केंद्रों पर आगे की ट्रेनिंग के लिए रवाना होंगी, उनके कंधों पर न सिर्फ देश की रक्षा की जिम्मेदारी होगी, बल्कि उन हजारों लड़कियों के सपनों का भार भी होगा जो एक दिन एनडीए की परेड ग्राउंड पर खुद को देखना चाहती हैं।