बाँदा : यूपी के बाँदा में सरकारी दस्तावेजों में एक जिन्दा बुजुर्ग व्यक्ति को मुर्दा करार दिया गया । इस वाकये से जनपद की नौकरशाही बेलगाम नजर आई है क्यूंकि यहां हालात ऐसे भी देखने को मिलते हैं जहाँ पर शरीर को लेकर जिंदा व्यक्ति अपने जिंदा होने का सबूत लिए दर-दर भटकता दिखाई दे रहा है, लेकिन सरकारी दस्तावेज में वह मुर्दा ही घोषित रहता है । ताजा मामला बाँदा से सामने आया है जहां एक वृद्ध व्यक्ति जनपद के मुख्यालय में अधिकारियों के दफ्तरों में अपने जिंदा होने की फरियाद करता घूम रहा है । सरकारी दस्तावेजों में 8 महीने से यह बुजुर्ग मृत दर्ज है और अपने को जिंदा रखने के लिए आज जिंदा व्यक्ति को जद्दोजहद करनी पड़ रही है ।
मामला बाँदा जनपद के कलेक्ट्रेट से सामने आया है जहाँ अतर्रा का निवासी एक बुजुर्ग व्यक्ति भगवंता जिलाधिकारी कार्यालय पहुँचा और अपने आपको ज़िंदा होने का प्रमाण-पत्र देता नजर आया । मैले कुचैले कपड़ों में जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर खड़ा यह व्यक्ति ये कहता हुआ नजर आ रहा है की “साहब अभी मैं ज़िंदा हूँ।” अपनी जिंदगी की गवाही देता यह बुजुर्ग अतर्रा तहसील के नाई गांव का रहने वाला भगवंता है जो पिछले 8 महीनों से सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित हो चुका है । बुजुर्ग भगवंता के आगे पीछे कोई सहारा भी नहीं है, वृद्धावस्था पेंशन के सहारे यह बुजुर्ग अपना जीवन यापन कर रहा था लेकिन 3 जुलाई 2021 में तहसील के अभिलेखों में इसको मुर्दा दर्ज कर दिया गया, जिसके चलते इस बुजुर्ग की पेंशन बंद कर दी गई और साथ ही मिलने वाली सभी सुविधाएं भी खत्म कर दी गई । यह बुजुर्ग तहसील स्तर पर अपने को जिंदा होने की दुहाई देता रहा और परेशान होकर आज कलेक्ट्रेट पहुंचा और जिलाधिकारी को अपने जिंदा होने की फरियाद सुनाई और पेंशन बहाल करने की प्रार्थना की । मामले को संज्ञान में लेते हुए जहाँ डिप्टी कलेक्टर लाल सिंह यादव ने पीड़ित को कार्यवाही का आश्वासन दिया है, तो वही जिला समाज कल्याण अधिकारी गीता सिंह का कहना है की वार्षिक सत्यापन में ग्राम पंचायत सचिव ने एक वृद्ध व्यक्ति मृतक दर्शाया है जिसपर बीडीओ को जाँच और दोषी पाए जाने पर सचिव के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं, साथ ही लाभार्थी को नया आवेदन करने को भी कहा गया है ।