लोकभाषा बज्जिका को बढ़ावा देने के लिए मीडिया आए आगे : जिलाधिकारी

Report By : मृत्युंजय कुमार

वैशाली के जिलाधिकारी यशपाल मीणा ने कहा है कि लोकभाषा बज्जिका को बढ़ावा देने के लिए मीडिया को आगे आना चाहिए। बज्जिका वैशाली समेत पूरे तिरहुत प्रमंडल की पहचान और गौरव है। इसकी प्रांजलता को आम जनता तक पहुंचाने के लिए मीडिया को इस पर विशेष कार्यक्रम और लेख प्रकाशित करने चाहिए।

बज्जिका एक प्राचीन लोकभाषा है, जिसे गणतंत्र की जननी वज्जिसंघ की मातृभाषा के रूप में भी देखा जाता है। महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने अपने लेख “मातृभाषाओं की समस्या” में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका के साथ-साथ बज्जिका को भी हिंदी की जनपदीय भाषा के रूप में स्वीकार किया है।

इतिहास के अनुसार, 1857 के समय हमारे देश में मात्र एक प्रतिशत लोग साक्षर थे। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि भाषा, साहित्य, विज्ञान, आयुर्वेद और खगोलशास्त्र का ज्ञान नहीं था। यह ज्ञान लोकभाषाओं और बोलियों के माध्यम से संचित था। बज्जिका भी इसी समृद्ध परंपरा का हिस्सा है और यह लोगों को आपस में जोड़ती है। लोकभाषाओं में एक खास अपनापन होता है, जो समाज को एकसूत्र में बांधता है।

बज्जिका लोकगीतों में समृद्ध भाषा है। विवाह, तीज-त्योहार और अन्य समारोहों में इसके लोकगीतों की अलग ही छटा होती है। इस भाषा को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए बज्जिका-हिंदी शब्दकोश का संकलन सुरेंद्र मोहन प्रसाद के संपादन में किया गया था। इसके अलावा, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद से 1964 में “बज्जिका भाषा और साहित्य” नामक पुस्तक का प्रकाशन हुआ था, जिसे विश्व भारती (शांतिनिकेतन) के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सियाराम तिवारी ने लिखा था।

बज्जिका भाषा का प्रारंभिक साहित्य काफी पुराना है। इसके उल्लेखनीय रचनाकारों में गयाधर (1045 ई.), हलदर दास (1565 ई.), और मंगनीलाल (1815 ई.) प्रमुख हैं। गयाधर वैशाली के निवासी थे और बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए तिब्बत गए थे।

लोकभाषाएं हमारी पहचान, संस्कृति और सामाजिक परंपराओं से जुड़ने का माध्यम हैं। इनके बिना हम अपनी जड़ों, इतिहास और परंपराओं से कट जाते हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि लोकभाषा अपनी मधुरता और मजबूती की वजह से स्थानीय लोगों की सांसों में बसी होती है। इसलिए मीडिया और आमजन को इसे बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए। लोकगीतों और लोक शब्दों का निरंतर प्रयोग इसे जीवंत बनाए रखेगा।

मीडिया अगर बज्जिका भाषा पर विशेष कार्यक्रम, लेख और सिरीज चलाए तो यह भाषा और मजबूत होगी। जिलाधिकारी ने अपील की कि बज्जिका की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जाना चाहिए।

Mukesh Kumar

मुकेश कुमार पिछले 3 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने सर्वप्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सशक्त प्रदेश, साधना एमपी/सीजी टीवी मीडिया में संवाददाता के पद पर कार्य किया है, वर्तमान में कर्मक्षेत्र टीवी वेबसाईट में न्यूज इनपुट डेस्क पर कार्य कर रहे है !

Related Articles

Back to top button