Saturday , September 28 2024
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समझ रहे हो न रेल…..

समझ रहे हो न रेल के कुछ अधिकारी रेल दुर्घटना के बाद दौरे पर थे | जो घायल थे , उसने मिलना था और मुआवजे की राशि बांटनी थी | वे अस्पताल के तीन बिस्तरों पर निरीक्षण करने पहुंचे |

तुम्हारा नाम क्या है ?

जी गोलू !

तुम्हारी टांगें कैसी कटीं ?

जी रेल दुर्घटना में !

तुम्हारा नाम आरक्षित यात्रियों की लिस्ट में शामिल नहीं है |

तुम झूठ बोलते हो , तुम्हें मुआवजा नहीं मिलेगा |

अगले बेड पर तुम्हारा नाम क्या है ?

जी सुखलाल |

तुम्हारा नाम आरक्षित यात्रियों यात्रियों की लिस्ट में शामिल नहीं है |

तुम झूठ बोलते हो , तुम्हें मुआवजा नहीं मिलेगा |

अगले बेड पर तुम्हारा नाम !

जी दोहरे कुमार !

इससे पहले अधिकारीगण कुछ बोलते !

वो बोल उठा ” हुजूर ! मैं रेल दुर्घटना में नहीं बल्कि शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए चोटिल हुआ हूँ !

अगर आप मुझे मुआवजा देगें ! तो मैं आपको ! समझे न |

अरे ! इसका नाम आरक्षित यात्रियों की लिस्ट में डाल दो और इसे आधा मुआवजा दो ! और बाकी समझ रहे हो न ! |

अधिकारीगण बोल उठे और उनके चेहरे खिल उठे | दौरा समाप्त हुआ ! अधिकारियों ने मुआवजा पाने वाले और लोगों की पहचान कर ली |

पहचान कैसे हुई ? समझ रहे हो न !

लेख  : विजय गुंजन

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