इटावा 500 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ बिना किसी आंधी और हवा के हुआ धराशाही

प्राचीन पीपल के पेड़ गिरने से एक कमरा और उसमें रखा पशु खाद्यान्न व गृहस्थी का सामान हुआ नेस्तनाबूद

इटावा *प्राचीन पीपल का पेड़ हुआ धराशाही भीषण हादसा होने से बचा*

– 500 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ बिना किसी आंधी और हवा के सुबह हुआ धराशाही
– प्राचीन पीपल का पेड़ गिरने से नीचे बंधे पशु बाल-बाल बचे
– प्राचीन पीपल के पेड़ गिरने से एक कमरा और उसमें रखा पशु खाद्यान्न व गृहस्थी का सामान हुआ नेस्तनाबूद

*चकरनगर/इटावा।* श्री नरसिंह मंदिर के पास बना रामवती शास्त्री का मकान के पास प्राचीन पीपल का पेड़ बुधवार को सुबह टूट कर गिर गया जिससे बड़ा हादसा होने से बच गया।

सुबह करीब 9:00 बजे के आसपास अचानक पीपल का पेड़ टूट कर घर पर गिर गया इससे मौके पर भगदड़ मच गई कुछ बिजली का रखा सामान भी जिसके नीचे दब गया। जिस समय यह घटना हुई उस समय गृह स्वामी रामवती शास्त्री की भैंस है नादों में लगी चारा खा रहीं थीं उसी समय घटना घटी, पर समय अच्छा यह रहा कि जैसे ही पेड़ के चटकने की आवाज होते ही नादों पर बंधी भैंसे और अन्य पशु खूंटी तोड़कर दूर भाग गए और वह प्राचीन पीपल का पेड़ टूट कर पशु खाद्यान्न वाले कमरे पर गिरा जहां पर कमरे की बनी अस्थाई छत और दीवाल बुरी तरह ध्वस्त हो गई। इस समय ऊंचे दामों पर बिकने वाला पशुखाद्यान्न भी बुरी तरह बर्बाद हो गया। ग्रह मालिक रामवती शास्त्री बतातीं हैं कि यह पेड़ हमारे पूर्वज बताते थे कि लगभग 500 वर्ष पुराना है इस पीपल के पेड़ के नीचे से यमुना जी प्रवाहित हुआ करतीं थीं, जो हटकर दलिप नगर के पास हैं रामवती शास्त्री ने बताया की एक संत बदलू दास जब गांव श्री नरसिंह मंदिर पर आए थे तो उन्होंने करीब 50 वर्षों पूर्व यह बताया था कि जमुना जी के बारे में हमारे पूर्वजों का कहना है कि श्री यमुना जी की जलधारा इस पीपल के पेड़ के किनारे से चलती थी जो आप करीब 100 साल के बाद करीब एक किलोमीटर उत्तर दिशा स्थित दलीप नगर के किनारे पहुंची और अब यह जलधारा पुनः इस पीपल के पास की ओर आने की स्थिति में है। यहां पर प्राचीन दो पीपल के पेड़ थे जिसमें एक पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया सिर्फ एक पीपल का पेड़ बचा है जो उसकी स्थिति भी अब खतरे से खाली नहीं लग रही है।

ग्रामीणों का मानना है कि श्रीमती शास्त्री का जो नुकसान हुआ है इस समय पशु खाद्यान्न बहुत महंगा है उन्हें क्षतिपूर्ति हेतु मुआवजा दिया जाए और दूसरे खड़े पेड़ का कोई ऐसा इंतजाम किया जाए कि जिससे किसी व्यक्ति विशेष का नुकसान ना होने पाए।

Riport by – Dr.S.B.S. Chauhan

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