मनिहारी ब्लॉक में सरकारी योजनाओं की उड़ रही धज्जियां

Report By: आसिफ अंसारी
गाज़ीपुर: सरकार की नीतियां भले ही “विकास”, “स्वच्छता” और भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बातें करती हों, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। गाज़ीपुर जिले के मनिहारी ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत सरौली ऊर्फ पहेतिया में चल रहे निर्माण कार्यों की सच्चाई देखेंगे तो यकीन करना मुश्किल होगा कि यह सब करोड़ों की सरकारी योजनाओं के तहत हो रहा है।
यहां पर सरकारी फंड से एक कूड़ा प्रबंधन केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है। उद्देश्य तो साफ है — गांव को स्वच्छ बनाना और पर्यावरणीय दृष्टि से कूड़ा प्रबंधन को सुदृढ़ करना। लेकिन वास्तविकता यह है कि इस योजना को भी भ्रष्टाचार और लापरवाही ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
घटिया सामग्री से हो रहा निर्माण, सरकारी पैसों की हो रही बर्बादी
स्थानीय लोगों और ग्रामीणों के अनुसार, इस कूड़ा केंद्र के निर्माण में इस्तेमाल की जा रही सामग्री अत्यंत निम्न गुणवत्ता की है। ईंटें तीसरे दर्जे की हैं, बालू पूरी तरह सफेद और भस्सी मिली हुई है। न तो गुणवत्ता का ख्याल रखा जा रहा है और न ही निर्माण की सही प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
“सरकार तो अच्छा करना चाहती है, लेकिन अधिकारी और ठेकेदार सब बर्बाद कर देते हैं,” – यह कहना है एक स्थानीय निवासी का, जो इस पूरी प्रक्रिया से आहत और निराश है।
कोई मॉनिटरिंग नहीं, जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस पूरे निर्माण कार्य पर कोई निगरानी या मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। ना ही ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने इसकी जांच की, और ना ही जिला प्रशासन की ओर से कोई हस्तक्षेप किया गया। ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह योजना केवल कागज़ों में ही पारदर्शी है, जबकि जमीन पर पूरी तरह भ्रष्टाचार और लापरवाही से भरी हुई है।
जीरो टॉलरेंस नीति का उड़ाया जा रहा है मज़ाक
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से बार-बार यह दावा किया जाता है कि राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। लेकिन अगर ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां पर करोड़ों के प्रोजेक्ट में इस तरह से खुलेआम घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो यह साफ संकेत है कि नीतियों की जमीन पर कोई क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।
सवाल उठते हैं:
क्या कोई अधिकारी इन कार्यों का निरीक्षण करने आया?
ठेकेदार को कार्य देने से पहले उसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता की जांच क्यों नहीं की गई?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस पर कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई?
सरकार से अपील: दोषियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
इस तरह के कार्य केवल पैसे की बर्बादी नहीं हैं, बल्कि आम जनता के साथ एक बड़ा विश्वासघात हैं। ऐसे मामलों में निर्माण कार्य को तुरंत रुकवाकर स्वतंत्र जांच समिति से जांच कराई जानी चाहिए। दोषी ठेकेदारों, अधिकारियों और लापरवाह कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह से सरकारी योजनाओं का मज़ाक न बना सके।