- वर्ष 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर की गई थी 13 नए मेडिकल कॉलेजों की परिकल्पना
- 13 मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत के लिए मुख्यमंत्री ने की केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात
- मेडिकल कॉलेजों द्वारा एनएममसी एक्ट 2019 के अधीन अपील की गई
- एनएमसी के 2020 के मानकों के अनुसार सभी मानकों पर खरे हैं सभी 13 मेडिकल कॉलेज
- तैयारियों में कमी नहीं, मानक बदलने से मान्यता में आया अवरोध
रिपोर्ट : विशेष संवाददाता
लखनऊ : प्रदेश के 13 जिलों में नए मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत को एनएमसी द्वारा अनुमति मिलने में आये अवरोध के पीछे मानकों में अचानक हुए बदलाव मुख्य कारक हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में 13 नए स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों की परिकल्पना एनएमसी के 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर की थी। इन्हीं के आधार पर स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा वर्ष 2023 में एनएमसी से एलओपी मॉगी गयी थी, जिससे कि वर्ष 2024-25 में शैक्षिक सत्र प्रारम्भ हो सके। जबकि एनएमसी वर्ष एमबीबीएस कोर्स के लिए 2023 में जारी नए मानकों के आधार पर निर्णय ले रही है।
इस बीच एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज के संकल्प के प्रति प्रदेश सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। शैक्षिक सत्र 2024-25 से प्रदेश के 13 जनपदों में नए मेडिकल कॉलेज में पठन- पाठन प्रारंभ हो जाएँ, इसके लिए सरकार सभी संभव विकल्पों को अपना रही है। सूत्रों के अनुसार, सभी राज्य स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा एनएममसी एक्ट 2019 के अनुच्छेद 28 (5) के अधीन अपील भी की गई है, वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं आगे बढ़कर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से वार्ता करते हुए इन मेडिकल कॉलेजों में 2024-25 के शैक्षिक सत्र को चलाने के लिए वर्ष 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर कार्यवाही की आवश्यकता पर बल दिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने 13 नए मेडिकल कॉलेजों की परिकल्पना एनएमसी के 2020 में निर्धारित मानकों के आधार पर की थी। इन्हीं के आधार पर वर्ष 2023 में एनएमसी से एलओपी मॉगी गयी थी, जिससे कि वर्ष 2024-25 में शैक्षिक सत्र प्रारम्भ हो सके। इस बीच एनएमसी द्वारा वर्ष 2023 में एमबीबीएस कोर्स के लिए नए मानक निर्धारित कर दिए गये । इस पर योगी सरकार ने उसी समय एनएमसी को पत्र लिखकर इन 13 नए मेडिकल कालेजों में पुराने मानकों के आधार पर निरीक्षण कराने का आग्रह किया था। न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि, कई अन्य राज्यों एवं निजी मेडिकल कालेजों द्वारा भी एनएमसी से वर्ष 2023 में निर्धारित मानकों को स्थगित करने के लिए अनुरोध किया गया था क्योंकि नए मानकों में चिकित्सा शिक्षकों और अवस्थापना के मानक वर्ष 2020 के निर्धारित मानकों से कहीं अधिक हैं।
सूत्र बताते हैं कि विभिन्न स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा चिकित्सा शिक्षकों के पदों को भरने के लिए पूरी कोशिश की गयी। राज्य सरकार द्वारा संविदा पर चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार स्थानीय स्तर पर प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में गठित कमेटी को दिया गया और नियमित चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 04 कमेटी गठित की गयी। एनएमसी के 02 मई 2024 के नोटिस के समय प्रदेश में लोकसभा चुनाव के कहते आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू थी। आदर्श चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के तुरन्त बाद फिर चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी करके आवेदन माँगे गये और वर्तमान में चयन की कार्यवाही चल रही है। हालाँकि इतने कम समय में इतने कड़े मानकों को पूर्ण किये जाने में समस्या है।
बता दें कि वर्ष 2020 के एनएमसी के पुराने मानकों में 50 चिकित्सा शिक्षकों की आवश्यकता है, जबकि वर्ष 2023 के एनएमसी के मानकों में 86 चिकित्सा शिक्षकों की अपरिहार्यता है। इसी प्रकार से जहाँ वर्ष 2020 के एनएमसी के पुराने मानकों में 24 सीनियर रेजीडेण्ट की आवश्यकता है, वहीं वर्ष 2023 के के मानकों में 40 सीनियर रेजीडेण्ट की अपरिहार्यता है। इसी तरह, जहाँ पुराने मानकों में प्रोफेसर के 06 पदों की आवश्यकता थी वहीं वर्ष 2023 के नए मानकों में 17 प्रोफेसरों की अपरिहार्यता है।