हर घर जल योजना में भारी लापरवाही

Report By: श्रवण कुमार यादव

बाराबंकी: देश की केंद्र सरकार ने 2019 में एक महत्वाकांक्षी योजना ‘हर घर जल’ की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य था – देश के हर घर तक पाइप के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाना। मगर ज़मीनी हकीकत और सरकारी दावों के बीच की खाई दिन-ब-दिन चौड़ी होती जा रही है। इसका एक ताजा उदाहरण है बाराबंकी जिले का ग्राम अख्तियारपुर, जहां यह योजना अब ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन चुकी है।

विकासखंड हरख के अंतर्गत ग्राम पंचायत सुल्तानपुर के गांव अख्तियारपुर में करीब एक साल पहले जल जीवन मिशन के तहत पानी की टंकी बनाने और पाइपलाइन बिछाने का कार्य शुरू हुआ था। शुरुआत में काम की गति ने ग्रामीणों को उम्मीदों के सपने दिखाए, लेकिन कुछ ही महीनों बाद नज़ारा बदल गया। बीते छह महीने से न टंकी बनी, न पानी आया, न कोई कर्मचारी दिखा। गांव सूखा पड़ा है और पाइपलाइनें जगह-जगह से टूटी हुई हैं।

ग्रामीणों की जुबानी गांव की सच्चाई

गांव के निवासी देशराज का दर्द छलकता है—
काम तो शुरू हुआ था। मशीनें आईं, मजदूर लगे। लेकिन दो-तीन महीने बाद सब बंद हो गया। अब कोई आता ही नहीं। हमें बताया गया था कि घर-घर पानी मिलेगा, लेकिन अब तो हैंडपंप से भी ठीक से पानी नहीं निकलता।

वहीं, शिवकुमार का कहना है
हमने कई बार अधिकारियों से शिकायत की, पंचायत में गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पता नहीं करोड़ों रुपये कहां गए। क्या हमें इंसान नहीं समझा जाता

सरकारी रिपोर्टों में ‘हर घर जल’ योजना को ‘लगभग सफल’ घोषित किया जा रहा है। जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर भी बाराबंकी ज़िले के अधिकतर गांवों को ‘कवर्ड’ बताया गया है। मगर अख्तियारपुर की कहानी इन आँकड़ों को गम्भीरता से कटघरे में खड़ा करती है।

पानी की टंकी बनी अधूरी, पाइपलाइनें टूटी, गांव सूखा पड़ा है। ऐसे में सवाल उठते हैं
आखिर करोड़ों की योजना में यह गड़बड़ी कैसे हुई?
कौन है इसका जिम्मेदार?
पैसा कहां गया?
अफसर क्यों चुप हैं?

गांव में बढ़ता आक्रोश, सड़कों पर उतरने की चेतावनी
गांव के कई लोगों ने अब संगठन बनाकर आंदोलन की चेतावनी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर अगले कुछ हफ्तों में काम दोबारा शुरू नहीं हुआ और पानी की आपूर्ति चालू नहीं की गई, तो वे जिला मुख्यालय पर धरना देंगे।

ग्रामीणों की तीन प्रमुख मांगें:
1. अधूरा कार्य तत्काल पूरा कराया जाए
2. गांव में शीघ्र पेयजल आपूर्ति शुरू हो
3. लापरवाह अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाए

अफसोस की बात यह है कि इतने बड़े घोटाले के बावजूद न तो स्थानीय प्रशासन कोई ठोस जवाब दे रहा है, और न ही ठेकेदारों से कोई स्पष्टीकरण लिया जा रहा है। ग्राम प्रधान और ब्लॉक स्तर के अधिकारी भी मीडिया के सवालों से बचते नजर आ रहे हैं।

फाइलों में जल है, ज़मीन पर सूखा
यह हाल सिर्फ अख्तियारपुर का नहीं है। देशभर में कई ऐसे गांव हैं जहां ‘हर घर जल’ योजना की हवा भर दी गई, लेकिन हकीकत में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अख्तियारपुर की स्थिति इस बात का ज्वलंत प्रमाण है कि योजनाएं सिर्फ कागजों में पूरी हो रही हैं, जमीनी स्तर पर नहीं।

जब एक बुनियादी ज़रूरत—पानी—तक सरकारें नहीं पहुंचा पा रहीं, तो जनता को किन वादों पर भरोसा करना चाहिए?

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