हिमाद्रि-2025मुख्यमंत्री ने शासकीय आवास से ITBP के सीमांत स्तरीय ट्रैकिंग अभियान को दिखाई गई हरी झंडी, दुर्गम क्षेत्रों के रूट होंगे फिर से सक्रिय

रिपोर्ट: उत्तराखंड डेस्क
उत्तराखंड:भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) द्वारा आयोजित सीमांत स्तरीय ट्रैकिंग अभियान ‘हिमाद्रि-2025’ को आज राजधानी दिल्ली स्थित शासकीय आवास से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह विशेष ट्रैकिंग अभियान न केवल दुर्गम सीमावर्ती क्षेत्रों की भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं से रूबरू होने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यटन और पारंपरिक ट्रैकिंग मार्गों के पुनरुद्धार की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारियों और केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही। उन्होंने ITBP के इस साहसिक और उद्देश्यपूर्ण अभियान की सराहना की और इसे “राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल” बताया।
क्या है ‘हिमाद्रि-2025’ ट्रैकिंग अभियान?
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के इस ट्रैकिंग अभियान में कुल 47 सदस्यीय टीम भाग ले रही है, जिसमें विशेषज्ञ पर्वतारोही, अनुभवी जवान, पर्यावरणविद और सांस्कृतिक अनुसंधानकर्ता शामिल हैं। यह दल उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख की दुर्गम पर्वतीय और सीमावर्ती क्षेत्रों की पदयात्रा करेगा। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है:
वर्षों से बंद पड़े प्राचीन ट्रैकिंग रूटों की पहचान और पुनः सक्रियता।
सीमावर्ती क्षेत्रों की लोक संस्कृति, पारंपरिक जीवनशैली और पर्यावरणीय विविधता का दस्तावेजीकरण।
स्थानीय समुदायों से संवाद कर उनकी आवश्यकताओं और समस्याओं को समझना।
पर्यावरणीय संरक्षण और टिकाऊ पर्यटन के प्रति जागरूकता फैलाना।
सीमावर्ती क्षेत्रों को मिलेगा नया जीवन
यह ट्रैकिंग मिशन न केवल साहसिक खेलों और पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे भारत-तिब्बत सीमा के पास बसे उन गाँवों को भी लाभ होगा, जो लंबे समय से विकास की मुख्यधारा से कटे हुए हैं। हिमाद्रि-2025 के माध्यम से इन गाँवों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और उनके साथ सतत विकास का रास्ता जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
ITBP अधिकारियों के अनुसार, इस अभियान के अंतर्गत एक डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन भी तैयार किया जाएगा, जिसमें मार्ग, वनस्पतियाँ, वन्यजीवन, लोक कथाएँ और सांस्कृतिक विरासत को संकलित किया जाएगा। यह दस्तावेजीकरण भविष्य में अनुसंधानकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और ट्रैवल इंडस्ट्री के लिए अमूल्य स्रोत साबित होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मिलेगा बल
ITBP के इस अभियान के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों की भौगोलिक समझ और तात्कालिक परिस्थितियों का गहन अध्ययन भी संभव होगा, जो भविष्य में सीमा सुरक्षा को और अधिक सशक्त करने में सहायक सिद्ध होगा। साथ ही, ट्रैकिंग मार्गों की बहाली से सेना और अर्धसैनिक बलों को भी रणनीतिक लाभ मिलेगा।
अभियान से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें:
अवधि: लगभग 30 दिन
क्षेत्र: उत्तराखंड (जोहारी, नीति, माणा घाटियाँ), हिमाचल (किन्नौर, स्पीति), लद्दाख (नुब्रा, तुर्तुक क्षेत्र)
संचालक संस्था: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
लक्ष्य: ट्रैकिंग रूट पुनः सक्रिय करना, पर्यावरण अध्ययन, सांस्कृतिक दस्तावेजीकरण