शौर्य और पराक्रम का सम्मान उत्तराखण्ड सरकार ने शहीद सैनिकों के परिवारजनों के लिए अनुग्रह अनुदान राशि ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख की

Report By: उत्तराखंड डेस्क

देहरादून:उत्तराखण्ड सरकार ने एक ऐतिहासिक और भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘उत्तराखण्ड शहीद आश्रित अनुग्रह अनुदान (संशोधन) अधिनियम, 2023’ के तहत शहीद सैनिकों के परिवारजनों को दी जाने वाली अनुग्रह अनुदान राशि को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दिया है। यह निर्णय राज्यपाल महोदय की स्वीकृति के पश्चात आज औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया।
यह निर्णय न केवल सरकार की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह उन वीर सपूतों को सच्ची श्रद्धांजलि है जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।

शहीदों के परिवारों के लिए सम्मान और सुरक्षा की भावना
उत्तराखण्ड राज्य, जिसे वीर भूमि के नाम से जाना जाता है, ने हमेशा से देश के लिए अपने सपूतों को बलिदान किया है। हर उस परिवार के पीछे एक गौरवशाली परंपरा और बलिदान की गाथा होती है, जिसने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्रियजनों को खोया है। ऐसे परिवारों को केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मान भी दिया जाना चाहिए।
इस नई योजना के अंतर्गत अब शहीद सैनिकों के परिजनों को ₹50 लाख की अनुग्रह राशि दी जाएगी, जिससे वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।

मुख्यमंत्री का वक्तव्य
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने कहा:
“हमारे वीर जवानों का बलिदान अतुलनीय है। यह निर्णय सिर्फ एक राशि बढ़ाने का नहीं, बल्कि उन परिवारों के प्रति हमारी सरकार की संवेदनशीलता, सम्मान और उत्तरदायित्व का प्रतीक है। यह कदम हमारे शहीदों की शहादत के प्रति एक छोटी सी श्रद्धांजलि है।”

राज्यपाल की स्वीकृति से मिली नई संकल्पना को मूर्त रूप
राज्यपाल महोदय की स्वीकृति से यह संशोधित अधिनियम अब राज्य में लागू हो गया है। इसके अंतर्गत न केवल आर्थिक सहायता दी जाएगी, बल्कि शहीदों के परिवारों को सरकारी सेवाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा में भी प्राथमिकता देने के प्रयास जारी रहेंगे।

भविष्य की योजनाएं और सरकार की प्रतिबद्धता
सरकार द्वारा संकेत दिए गए हैं कि यह निर्णय केवल एक शुरुआत है। आने वाले समय में शहीदों के परिवारों के लिए विशेष पुनर्वास योजनाएं, स्वरोजगार अवसर, शिक्षा में आरक्षण, और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी नीतियों को भी शामिल किया जाएगा।

समाज की भागीदारी भी आवश्यक
सरकार ने आम नागरिकों, संस्थाओं और समाजसेवियों से भी अपील की है कि वे इन परिवारों के सहयोग में आगे आएं, ताकि एक समावेशी और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

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