गाजीपुर में जिला गंगा एवं पर्यावरण समिति की बैठक आयोजित, गंगा संरक्षण और पर्यावरण सुधार को लेकर दिए गए अहम निर्देश

Report By : आसिफ अंसारी
गाजीपुर : विकास भवन सभागार, गाजीपुर में जिलाधिकारी अविनाश कुमार की अध्यक्षता में जिला गंगा समिति एवं पर्यावरण समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का उद्देश्य गंगा नदी की स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और विभिन्न विकास कार्यों की समीक्षा करना था। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों और समिति के सदस्यों ने भाग लिया।
बैठक में सबसे पहले नगर पालिका परिषद गाजीपुर के अन्तर्गत स्थापित एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) की स्थिति पर चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि घरेलू सीवेज को एसटीपी से जोड़ने के कार्य को तेजी से पूरा किया जाए, ताकि गंदा पानी सीधे गंगा नदी में न पहुंचे। इसके साथ ही एसटीपी की कार्यप्रणाली की नियमित निगरानी के लिए बनाई गई समिति को समय-समय पर निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के अधीन आने वाले कुल 34 नालों में बायोरेमिडिएशन तकनीक से सीवेज के उपचार का कार्य निर्बाध रूप से जारी रखा जाए। यह तकनीक प्रदूषकों को प्राकृतिक तरीकों से नष्ट करने में मदद करती है और पर्यावरण के लिए सुरक्षित होती है।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता, देवकली पंप नहर को निर्देशित किया गया कि वे मरदह ब्लॉक के अंतर्गत गोविन्दपुर, बरही, गुलाल सराय और नसरतपुर ग्राम पंचायतों के समीप स्थित नहर के किनारे खाली पड़ी अनुपयुक्त भूमि की पहचान कर वहां वृक्षारोपण कराएं। इसके लिए उन्हें अपने विभाग के लक्ष्य अनुसार आवश्यक कार्यवाही शीघ्र शुरू करने को कहा गया।
जिलाधिकारी ने डीएफओ (वन अधिकारी) विवेक यादव को निर्देश दिए कि गंगा नदी के किनारे स्थित सभी ग्राम पंचायतों में ‘गंगा समिति’ का गठन किया जाए। इन समितियों का कार्य स्थानीय स्तर पर गंगा की स्वच्छता, निगरानी और जनजागरूकता का होगा।
इसके साथ ही जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया गया कि जनपद की सभी ग्राम पंचायतों में नियमानुसार ‘जिला आर्द्र भूमि समिति’ का गठन जल्द से जल्द किया जाए। यह समिति आर्द्र क्षेत्रों के संरक्षण एवं प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि जनपद की सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक स्थान चिन्हित कर वहां मियावाकी पद्धति से वृक्षारोपण किया जाए। मियावाकी पद्धति एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें कम स्थान में अधिक घनत्व में वृक्ष लगाए जाते हैं और वे जल्दी विकसित होते हैं।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार वैश्य, समिति के नामित सदस्य शैलेष राम, डीएफओ विवेक कुमार सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों को दिए गए निर्देशों का समयबद्ध पालन सुनिश्चित करने को कहा गया।
इस बैठक से स्पष्ट है कि जिला प्रशासन गाजीपुर गंगा संरक्षण और पर्यावरण सुधार के प्रति गंभीर है और इस दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। आमजन की भागीदारी और प्रशासन की सक्रियता से गाजीपुर में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है।