इंडिगो: राकेश गंगवाल और उनका परिवार इंडिगो में 3.4% हिस्सेदारी बेच सकते हैं, 6831 करोड़ रुपये में सौदे का दावा

Report By: अर्थक्षेत्र डेस्क
नई दिल्ली: भारत की अग्रणी एविएशन कंपनी इंडिगो (IndiGo) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। कंपनी के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल और उनका परिवार अब इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (IndiGo की पैरेंट कंपनी) में अपनी 3.4 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच सकते हैं। इस सौदे की अनुमानित कीमत करीब 6831 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस विकास को शेयर बाजार के जानकार निवेशकों और एविएशन इंडस्ट्री दोनों के लिए एक अहम घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।
सौदे का विवरण
मीडिया रिपोर्ट्स और बाजार सूत्रों के अनुसार, गंगवाल परिवार की ओर से 1.29 करोड़ शेयर बेचने की योजना है, जो कुल शेयर पूंजी का 3.4% हिस्सा है। यह बिक्री ब्लॉक डील के जरिए की जाएगी, जिसमें प्रति शेयर कीमत 5% की छूट के साथ तय की जा सकती है।
फिलहाल इंडिगो का शेयर बीएसई (BSE) पर लगभग 2,691 रुपये के आस-पास कारोबार कर रहा है। अगर इसी भाव पर सौदा होता है, तो इसकी कुल वैल्यू 6831 करोड़ रुपये के करीब आंकी जा रही है। हालांकि अंतिम सौदे की रकम शेयर की वास्तविक बिक्री दर पर निर्भर करेगी।
पहले भी बेच चुके हैं हिस्सेदारी
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब राकेश गंगवाल और उनके परिवार ने इंडिगो में हिस्सेदारी बेची है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने चरणबद्ध तरीके से अपनी हिस्सेदारी घटाई है। मार्च 2022 में राकेश गंगवाल ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था और तब से वे अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बेचने की योजना पर काम कर रहे हैं।
मार्च 2024 के अंत तक गंगवाल परिवार की इंडिगो में कुल हिस्सेदारी करीब 13.23% थी, जिसमें से राकेश गंगवाल के पास 4.2% और उनकी पत्नी शिप्रा गंगवाल के पास 8.59% शेयर थे। इस लेन-देन के बाद उनकी हिस्सेदारी घटकर 10% से नीचे आ सकती है।
बाजार पर असर
गंगवाल परिवार की इस हिस्सेदारी बिक्री की खबर के बाद बाजार में हलचल देखने को मिल रही है। हालांकि इंडिगो का शेयर अभी भी मजबूत स्थिति में है और कंपनी की फंडामेंटल्स मजबूत मानी जा रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा एक रणनीतिक निर्णय हो सकता है। राकेश गंगवाल पिछले कुछ समय से खुद को सक्रिय प्रबंधन से अलग कर रहे हैं और यह डील उस प्रक्रिया का हिस्सा मानी जा रही है।
इंडिगो की स्थिति
इंडिगो वर्तमान में भारत की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन है, जिसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 60% है। कंपनी ने हाल ही में अपने नेटवर्क का विस्तार किया है और इंटरनेशनल रूट्स पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने नए एयरबस विमानों का बड़ा ऑर्डर देकर अपनी विस्तार नीति को और मजबूत किया है।