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इजरायल पर ईरान का मिसाइल अटैक: G-7 ने बुलाई आपात बैठक, पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर


पश्चिम एशिया में तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुंच गया है। इस बार ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए मिसाइल हमले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। यह हमला इजरायल और ईरान के बीच पहले से मौजूद तनाव को और गहरा कर सकता है। मिसाइल हमले के बाद दुनिया के बड़े देशों का ध्यान इस क्षेत्र पर गया है। आर्थिक और राजनैतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस घटना ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने इजरायल के कई ठिकानों पर मिसाइल दागे हैं। इस हमले में कई सैन्य और नागरिक ठिकानों को नुकसान पहुंचा है। इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली ने कई मिसाइलों को नष्ट कर दिया, लेकिन कुछ मिसाइलें अपने लक्ष्य पर पहुंचने में कामयाब रहीं। इस हमले के बाद इजरायल ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अपने लड़ाकू विमानों को ईरानी ठिकानों पर जवाबी हमला करने के लिए तैनात कर दिया है।

इजरायल और ईरान के बीच यह तनाव नया नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर संघर्ष चलता रहा है, लेकिन यह हमला दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका को और बढ़ा सकता है। इस हमले के बाद पश्चिम एशिया के अन्य देशों में भी बेचैनी है, क्योंकि इस संघर्ष का असर पूरे क्षेत्र पर पड़ सकता है।

इस तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए दुनिया के संपन्न देशों के संगठन G-7 ने आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने और शांति बहाल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या कदम उठाए जाएं, इस पर चर्चा की जा रही है। G-7 देश, जो दुनिया के सबसे प्रमुख औद्योगिक और आर्थिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं, क्योंकि यह हमला वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

इस बैठक का उद्देश्य पश्चिम एशिया में स्थिरता बनाए रखने के लिए संयुक्त कदम उठाने और इस संघर्ष को नियंत्रण में रखने की दिशा में प्रयास करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह टकराव बढ़ता है, तो इसका सीधा प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा, विशेषकर कच्चे तेल की आपूर्ति और उसकी कीमतों पर।

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव का पहला प्रभाव वैश्विक तेल बाजार पर पड़ा है। हमले की खबर के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में ढाई प्रतिशत तक का उछाल देखा गया। पश्चिम एशिया में अस्थिरता की आशंका से तेल आपूर्ति पर खतरा मंडराने लगा है, जिससे बाजार में उथल-पुथल मच गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टकराव बढ़ता है, तो कच्चे तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं, जिससे दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है। विशेष रूप से, तेल आयातक देशों के लिए यह स्थिति गंभीर चुनौती बन सकती है, क्योंकि महंगे तेल का सीधा असर परिवहन, उत्पादन और ऊर्जा लागत पर पड़ेगा।

इस घटना के बाद न केवल G-7 देशों ने बल्कि संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी इस मामले पर गहरी चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है और इस विवाद को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश करने का आह्वान किया है। वहीं, अमेरिका ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और ईरान को चेतावनी दी है कि वह ऐसे उकसावे वाले कदमों से बचें।

भारत समेत अन्य प्रमुख देश भी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। पश्चिम एशिया में होने वाली किसी भी घटना का सीधा असर भारत पर भी पड़ता है, क्योंकि भारत पश्चिम एशिया से तेल का बड़ा आयातक है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में भारतीय कामगार काम करते हैं, जिनकी सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। इसलिए भारत सरकार इस मुद्दे पर संयम बरतने और शांति की बहाली के लिए कूटनीतिक प्रयासों में जुट गई है।

ईरान और इजरायल के बीच यह टकराव एक बड़ा मोड़ ले सकता है। अगर दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ता है, तो यह न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। G-7 की आपात बैठक से इस टकराव को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं, यह देखना बाकी है। लेकिन यह स्पष्ट है कि पश्चिम एशिया में स्थिति और भी जटिल हो सकती है।

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