गाजीपुर गंगा पुल पर ओवरलोड वाहनों की भरमार: क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा प्रशासन?

रिपोर्ट: आसिफ अंसारी

गाजीपुर जिले में गंगा नदी पर बना ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पुल इन दिनों भारी ओवरलोड ट्रकों की वजह से गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। यह पुल न केवल गाजीपुर को पूर्वांचल के अन्य जिलों से जोड़ता है, बल्कि बिहार और झारखंड जैसे राज्यों की ओर जाने वाले लाखों वाहनों का प्रमुख मार्ग भी है। लेकिन बीते कुछ महीनों से इस पुल की छाती पर रोजाना नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ऐसे ट्रक दौड़ रहे हैं, जिनका भार क्षमता से कई गुना अधिक है।

नियमों की अनदेखी, सुरक्षा को जोखिम
बालू, गिट्टी, सीमेंट, लोहे की छड़ और भारी मशीनरी जैसे सामानों से लदे ट्रक गंगा पुल की निर्धारित भार सीमा को पार कर जा रहे हैं। परिवहन नियमों के अनुसार इस पुल से अधिकतम भार सीमा वाले वाहनों को ही पार करने की अनुमति है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। इन भारी वाहनों की वजह से पुल की संरचना पर दबाव दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, जिससे न केवल इसकी उम्र घट रही है बल्कि एक भी तकनीकी चूक बड़े हादसे की वजह बन सकती है।

स्थानीय प्रशासन की चुप्पी बनी रहस्य
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस गंभीर समस्या के बावजूद स्थानीय प्रशासन, परिवहन विभाग और पुलिस महकमा पूरी तरह से मौन है। आम नागरिकों, सामाजिक संगठनों और राहगीरों द्वारा कई बार शिकायतें करने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे वीडियो इस लापरवाही की खुली पोल खोल रहे हैं, जिनमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे ट्रक चालक खुलेआम नियमों की अनदेखी करते हुए पुल से गुजर रहे हैं।

इन ओवरलोड ट्रकों से हो रहे खतरनाक परिणाम:
पुल की संरचनात्मक मजबूती पर गंभीर असर: लगातार दबाव झेलने की वजह से पुल के जोड़ और ढांचे पर असर पड़ रहा है।
दुर्घटनाओं की आशंका: यदि एक भी ओवरलोड ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया या पुल में दरार आई, तो यह एक बड़ी जनहानि का कारण बन सकता है।
सामान्य यातायात प्रभावित: ओवरलोड ट्रकों की धीमी गति और भारी आवाजाही के कारण आम नागरिकों का आवागमन बाधित हो रहा है।

जनता का आक्रोश और मांगें
गाजीपुर की जनता अब इस मुद्दे पर आंदोलन के मूड में है। स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से कुछ सख्त और तत्काल कदम उठाने की मांग की है:
1. पुल पर वेट ब्रिज की स्थापना: ताकि किसी भी वाहन का वजन पुल पर चढ़ने से पहले ही मापा जा सके।
2. ओवरलोड ट्रकों पर प्रतिबंध: ऐसे वाहनों को पुल पर से गुजरने की अनुमति बिल्कुल न दी जाए।
3. 24×7 निगरानी: पुल पर पुलिस और परिवहन विभाग की तैनाती की जाए ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके।
4. दोषियों पर सख्त कार्रवाई: ओवरलोडिंग के लिए जिम्मेदार ट्रक मालिकों और चालकों पर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।

क्या प्रशासन हादसे का इंतजार कर रहा है?”
यह सवाल अब हर स्थानीय नागरिक की जुबान पर है। क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह पुल भविष्य में एक त्रासदी का कारण बन सकता है, जिसकी कीमत गाजीपुर और आसपास के लाखों नागरिकों को चुकानी पड़ेगी।
पुल यदि क्षतिग्रस्त होता है या बंद करना पड़ता है, तो न सिर्फ परिवहन बाधित होगा, बल्कि व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और रोज़मर्रा की ज़िंदगी भी अस्त-व्यस्त हो जाएगी।
अब वक्त है चेतने का
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे तत्परता से इस गंभीर समस्या का समाधान करें, ताकि गाजीपुर का यह जीवनरेखा समान पुल सुरक्षित रह सके और कोई अप्रिय घटना न हो।

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