रोली-चंदन से हुआ नन्हे कदमों का स्वागत

Report By: श्रवण कुमार यादव

बाराबंकी:ग्रीष्मावकाश के बाद जैसे ही स्कूलों के दरवाजे खुले, परिषदीय विद्यालयों में एक अनोखा उल्लास देखने को मिला। बेसिक शिक्षा विभाग के निर्देशन में चलाए जा रहे “स्कूल चलो अभियान” के तहत जिले भर के हजारों सरकारी स्कूलों में बच्चों का भव्य स्वागत हुआ। विद्यालयों को दुल्हन की तरह सजाया गया था—कहीं रंगोली, तो कहीं फूलों की वर्षा, और गुब्बारों से भरा हर कोना बच्चों की मुस्कान में घुलता नजर आया।

सुबह जैसे ही बच्चे अपने-अपने स्कूल पहुंचे, उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। शिक्षकों ने उन्हें रोली-चंदन का तिलक लगाकर, फूलों की माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर विद्यालय में प्रवेश कराया। यह नजारा किसी उत्सव से कम नहीं था। हर विद्यालय से बाल कलरव और “पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया”, “स्कूल चलो, देश गढ़ो” जैसे नारों की गूंज सुनाई दी।

शिक्षा के प्रति जागरूकता और स्वास्थ्य पर भी फोकस
स्कूल चलो अभियान के साथ-साथ संचारी रोग नियंत्रण को लेकर भी जनजागरूकता रैली निकाली गई। छात्र-छात्राओं ने तख्तियों और पोस्टरों के माध्यम से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वच्छता का संदेश फैलाया। रैली के दौरान बच्चों ने स्लोगन के माध्यम से बताया कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन की दिशा तय करती है।

मध्यान्ह भोजन बना उत्सव का स्वादिष्ट हिस्सा
कार्यक्रम के विशेष आयोजन के तहत सभी बच्चों को मध्यान्ह भोजन में खीर, हलवा और मिष्ठान परोसा गया। बच्चों ने स्वाद और आनंद दोनों का खूब लुत्फ उठाया। भोजन के बाद विद्यालय प्रांगण में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जहां बच्चों ने गीत, कविता और नृत्य प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरीं।

इस अवसर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री सन्तोष कुमार देव पाण्डेय ने मीडिया से बातचीत में बताया

शिक्षा केवल विद्यालय तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, यह एक सामाजिक आंदोलन बनना चाहिए। आज जिले के सभी परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के स्वागत और जागरूकता रैली का आयोजन कर यह संदेश दिया गया है कि हर बच्चा स्कूल जाए, यही हमारी प्राथमिकता है।”

जिले के खण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला समन्वयक, तथा अन्य शिक्षा अधिकारियों ने भी विद्यालयों में जाकर बच्चों से संवाद किया, उन्हें शैक्षिक सामग्री प्रदान की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

इस अवसर पर विद्यार्थियों को सरकारी योजनाओं के तहत नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण भी किया गया। किताबें पाकर बच्चों की आंखों में उत्साह और पढ़ाई के प्रति समर्पण झलकता दिखा।

बच्चों के चेहरे पर जहां मुस्कान थी, वहीं अभिभावकों में अपने बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक नया विश्वास भी नजर आया। स्कूलों की इस सकारात्मक पहल को देखते हुए कई अभिभावकों ने अपने बच्चों का नामांकन करवाने की बात भी कही।

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