चित्रकूट, उत्तर प्रदेश: महर्षि वाल्मीकि की 20 लाख की लागत से स्थापित मूर्ति उद्घाटन से पहले ही कई जगहों पर दरारें आ जाने के कारण चर्चा का विषय बन गई है। यह मामला उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के दावे को कमजोर करता दिख रहा है।
चित्रकूट में महर्षि वाल्मीकि आश्रम का करीब 18 करोड़ की लागत से सुंदरीकरण किया जा रहा है, लेकिन इस परियोजना में पर्यटन विभाग की धांधली के आरोप सामने आ रहे हैं। एक वर्ष में ही रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी की अष्टधातु की मूर्ति में आई दरारें सरकार के कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाती हैं।
महर्षि वाल्मीकि आश्रम के महंत भरत दास महाराज ने पर्यटन विभाग पर शासन से मिले बजट का बंदरबाट करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति में आई दरारों के चलते गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। धांधली को छिपाने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा मूर्ति में लीपा-पोती की जा रही है।”
महंत ने आगे कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर पर्यटन विकास के कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराने की मांग करेंगे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी करेंगे।
बगरेही ग्राम के प्रधान केदार नाथ यादव ने भी इस मामले में पर्यटन और वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि शासन से मिले धन का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे स्थानीय संस्कृति और धार्मिक स्थलों की गरिमा को नुकसान पहुंच रहा है।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार खंडित मूर्ति का पूजा-पाठ में कोई महत्व नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार की योजनाएँ और उनकी निष्पादन क्षमता जनता के विश्वास पर खरी उतरेंगी या नहीं।