बी.एड पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव: एनसीटीई ने राज्यों को दिए नए दिशा-निर्देश, अब केवल बहुविषयक संस्थानों में संचालित होंगे कोर्स

नई दिल्ली:शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने देशभर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब से बी.एड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) पाठ्यक्रम केवल उन्हीं संस्थानों में संचालित किए जाएंगे जो बहुविषयक (Multidisciplinary) संस्थान होंगे। इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार करना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को नया स्वरूप देना है।
क्या हैं एनसीटीई के दिशा-निर्देश?
एनसीटीई द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार:
वर्ष 2030 तक सभी एकल विषय आधारित (single discipline) शिक्षण संस्थानों को बहुविषयक संस्थानों में परिवर्तित किया जाना अनिवार्य होगा।
बी.एड पाठ्यक्रम केवल उन्हीं संस्थानों में संचालित होंगे जहाँ विज्ञान, कला, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान जैसे विभिन्न संकाय उपलब्ध होंगे।
जो संस्थान बहुविषयक नहीं हैं, उन्हें समयबद्ध योजना के तहत अपने पाठ्यक्रम या तो बंद करने होंगे या किसी विश्वविद्यालय या बहुविषयक कॉलेज में समाहित होना होगा।
किसी भी नए बी.एड कॉलेज की मान्यता उन्हीं संस्थानों को दी जाएगी जो बहुविषयक स्वरूप में कार्यरत हैं।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षक शिक्षा में बदलाव की सिफारिश की गई थी। नीति का उद्देश्य शिक्षकों को न केवल विषय विशेषज्ञ बनाना है, बल्कि उन्हें व्यापक दृष्टिकोण और समग्र शिक्षा प्रणाली से जोड़ना भी है। इसके लिए जरूरी है कि बी.एड छात्र विभिन्न विषयों और दृष्टिकोणों से परिचित हों, जो केवल बहुविषयक संस्थानों में ही संभव हो सकता है।
एनसीटीई के अनुसार, भारत में शिक्षक शिक्षा लंबे समय से एक सीमित दायरे में सिमटी रही है। एकल संस्थानों में शिक्षण केवल पाठ्यक्रम तक सीमित रह जाता है, जबकि बहुविषयक संस्थानों में छात्रों को विविध शैक्षिक वातावरण मिलता है, जो बेहतर शिक्षक निर्माण में सहायक होता है।
किन संस्थानों पर पड़ेगा प्रभाव?
देशभर में हजारों निजी और सरकारी बी.एड कॉलेज इस निर्णय से प्रभावित होंगे। विशेष रूप से वे संस्थान जो केवल बी.एड पाठ्यक्रम ही संचालित करते हैं और किसी अन्य विषय की पढ़ाई की सुविधा नहीं देते, उन्हें या तो अपनी कार्यप्रणाली बदलनी होगी या मान्यता खोने का जोखिम उठाना पड़ेगा
एनसीटीई ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे संस्थानों की सूची तैयार करें और यह सुनिश्चित करें कि वे तय समयसीमा के भीतर बहुविषयक मॉडल को अपनाएं।
क्या होगा छात्रों और शिक्षकों पर असर?
छात्रों के लिए यह कदम लाभकारी माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें अब एक समृद्ध और विविध शैक्षणिक वातावरण मिलेगा। इससे उनके शैक्षिक अनुभव का दायरा बढ़ेगा और शिक्षक बनने की उनकी तैयारी अधिक व्यावहारिक और गहन होगी।
शिक्षकों को भी इससे फायदा होगा, क्योंकि बहुविषयक संस्थानों में उन्हें अन्य विषय विशेषज्ञों से संवाद और सहयोग का अवसर मिलेगा, जिससे उनका पेशेवर विकास बेहतर होगा।
सरकार की क्या है योजना?
शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी मिलकर ऐसे संस्थानों को प्रोत्साहन देने की योजना बना रहे हैं जो बहुविषयक बनने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके तहत वित्तीय सहायता, विशेष मान्यता और सहयोग की भी व्यवस्था की जा सकती है।