– मुख्यमंत्री ने की भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की समीक्षा, दिये आवश्यक दिशा निर्देश
– पट्टे की प्रक्रियाओं को बनाएं सरल, बाजार कीमतों के आधार पर हो राजस्व की दरों का निर्धारण
– अवैध खनन पर लगाएं लगाम, इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम को बनाएं और प्रभावी
– पर्यावरणीय एनओसी शीघ्र प्राप्त करने के लिए हो गंभीर प्रयास
– मेजर ब्लॉक की नीलामी के लिए नीतियों में करें आवश्यक संशोधन, राजस्व बढ़ाने के हों गंभीर प्रयास
– ईंट उत्पादन में उपजाऊ भूमि की मिट्टी की जगह वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाने का हो प्रयास
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्यों की उच्चस्तरीय समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने विभाग के प्रस्तुतिकरण का अवलोकन भी किया। उन्होंने कहा कि एनजीटी के आदेशों का अनुपालन करते हुए प्रदेश की नदियों का समय पर ड्रेजिंग कराने का कार्य हर हाल में पूरा किया जाए। इससे बाढ़ की समस्या का समाधान होने के साथ ही नदियों को चैनलाइज करने में भी मदद मिलेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री ने खनन और सिंचाई विभाग को मिलकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश में खनन के नये ब्लॉकों को चिह्नित करते हुए खनिज उत्पादन बढ़ाने के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि प्रदेश में ईंट उत्पादन के लिए उपजाऊ भूमि से मिट्टी निकालने की जगह वैकल्पिक स्रोतों को चिह्नित किया जाए और ईंट भट्ठों को उसके लिए प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने एम सैंड को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिया और कहा कि इससे नदी तंत्र की परिस्थितिकी को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, अपर मुख्य सचिव वन, मुख्य सचिव खनन सहित अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश में खनन पट्टों को बढ़ाने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय एनओसी को शीघ्र प्रदान करने के लिए विभाग गंभीर प्रयास करे। उन्होंने अवैध खनन पर हर हाल में अंकुश लगाने और इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम को और प्रभावी बनाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न सीमावर्ती जनपदों में कार्यरत 39 चेकगेट्स पर तकनीकी का उपयोग करते हुए बालू, मोरम, बोल्डर सहित अन्य खनिजों की माल ढुलाई के दौरान विशेष निगरानी बरती जाए। ओवरलोडिंग को हर हाल में रोका जाए। इसके साथ ही चेकगेट्स की संख्या भी बढ़ाई जाए। मुख्यमंत्री ने बाजार के मूल्य के हिसाब से खनिजों का मूल्य निर्धारित करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। इसके अलावा मेजर ब्लॉक की नीलामी के लिए नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करने के भी निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने नदियों के रेप्लेनिशमेंट स्टडी में लगने वाले समय को और कम करने के निर्देश भी दिये। साथ ही एम सैंड के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया, जिससे नदियों के पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव को न्यून किया ज सके। उन्होंने प्रदेश के विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिए भविष्य में बालू, मोरम का विकल्प उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया। सीएम योगी ने प्रदेश में अधिकाधिक नये भंडारण को स्वीकृत करने के लिए प्रक्रिया के सरलीकरण को लेकर अधिकारियों को निर्देशित किया। साथ ही अलग अलग उपखनिजों के लिए भंडारण की अवधि को निर्धारित करने के लिए भी अधिकारियों को कहा।
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेश में फॉस्फोराइट, पोटाश, आयरन, प्लैटिनम समूह, स्वर्णधातु, सिलीमेनाईट, ऐडालुसाइट और लाइमस्टोन के 19 ब्लॉक ऑक्शन के लिए तैयार हैं। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 6762 लाख क्यूबिक मीटर उपखनिजों का उत्पादन प्रदेश में हुआ है, जिससे 3367.26 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही की राजस्व प्राप्ति 95.6 प्रतिशत यानी 1093.6 करोड़ रुपए है, जोकि पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में 356.6 करोड़ रुपए अधिक है। प्रदेश के खनिज राजस्व में उपखनिजों का योगदान 70 प्रतिशत है। इसमें साधारण बालू, मॉरम, गिट्टी, बोल्डर उपखिनज संसाधनों का लगभग 91 प्रतिशत योगदान देता है।
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