बिहार में ग्राम पंचायतों की बदतर स्थिति को लेकर मुखिया संघ का सरकार पर हमला, पीएम के दौरे पर काला बिल्ला लगा विरोध की चेतावनी

मुखिया संघ बिहार के प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार भोजपुर जिले में शुक्रवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष हरेंद्र प्रसाद यादव ने की। बैठक में जिले के सभी प्रखंड अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारी शामिल हुए। प्रेस वार्ता का मुख्य उद्देश्य राज्य एवं केंद्र सरकार की उन नीतियों की आलोचना करना था, जिनके चलते ग्राम पंचायतों की स्थिति दिनोंदिन बदतर होती जा रही है।
अध्यक्ष हरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि 2014 में बिहार की ग्राम पंचायतें राष्ट्रीय स्तर पर 5वें स्थान पर थीं, जो अब गिरकर 18वें स्थान पर पहुंच गई हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों के अधिकारों में भारी कटौती की है उन्होंने आगे कहा कि यदि 24 अप्रैल, 2025 को पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे से पहले कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो हम सभी प्रतिनिधि काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
प्रेस वार्ता में उठे मुख्य मुद्दे:
- वित्तीय अधिकारों में कटौती:
उपाध्यक्ष मनोज कुमार यादव ने आरोप लगाया कि सरकार पंचायतों को पैसा तो देती है, लेकिन उसके खर्च पर खुद निर्णय लेती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सोलर लाइट की योजना का भुगतान पंचायत से जबरन करवाया जाता है, जबकि वेंडर सरकार तय करती है। - जनप्रतिनिधियों को पेंशन की मांग:
मनोज यादव ने जनप्रतिनिधियों के लिए पेंशन की सुविधा को लागू करने की मांग भी उठाई। - संवैधानिक शक्तियों की बहाली:
कोषाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि 73वें संविधान संशोधन के तहत जो शक्तियां पंचायतों को दी गई थीं, उनकी कटौती असंवैधानिक है। उन्होंने मांग की कि त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली को पुनः उसका अधिकार वापस दिया जाए। - सरकारी तंत्र की मनमानी:
सहार प्रखंड अध्यक्ष रामसुभग सिंह ने प्रशासनिक अफसरशाही पर हमला करते हुए कहा कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों को अनदेखा कर रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए घातक है। - प्रधानमंत्री से अपील:
बड़हरा प्रखंड अध्यक्ष रितेश कुमार सिंह ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप कर पंचायतों की स्थिति सुधारनी चाहिए। उन्होंने कहा बिहार की पंचायतों को अन्य राज्यों की तरह सशक्त किया जाए वरना आने वाले समय में सरकार को जनआक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।
मुखिया संघ की यह प्रेस वार्ता सरकार के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि यदि पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत नहीं किया गया, तो जमीनी स्तर के जनप्रतिनिधि व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री मोदी के बिहार दौरे से पहले सरकार क्या कदम उठाती है।