नेहा सिंह राठौड़ ने 400 से ज्यादा केस दर्ज होने पर दी प्रतिक्रिया  ‘ये एफआईआर मेरे लिए मेडल हैं’

Report By: स्पेशल डेस्क

चर्चित लोकगायिका और व्यंग्यकार नेहा सिंह राठौड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनके खिलाफ 400 से अधिक एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन इस पर नेहा का बेबाक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, “ये एफआईआर मेरे लिए मेडल के समान हैं।” सोशल मीडिया पर यह बयान वायरल हो गया है और कई लोग इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी के समर्थन में एक मजबूत स्टैंड मान रहे हैं।
नेहा सिंह राठौड़ कौन हैं?
नेहा सिंह राठौड़ बिहार के कैमूर जिले से ताल्लुक रखती हैं और वे सोशल मीडिया पर अपने राजनीतिक व्यंग्य गीतों के लिए जानी जाती हैं। उनका चर्चित गीत “यूपी में का बा?” और “बिहार में का बा?” ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने जनता की समस्याओं, सरकारी नीतियों और सामाजिक मुद्दों पर कई बार अपनी कलम चलाई है, जिसके कारण वे सरकारों की आंखों की किरकिरी बन चुकी हैं।
एफआईआर क्यों दर्ज हो रही हैं?
नेहा के खिलाफ जिन मामलों में एफआईआर दर्ज हुई हैं, वे मुख्यतः उनके गीतों और वीडियो पर आधारित हैं। इन गीतों में उन्होंने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली जैसे मुद्दों को उठाया है। प्रशासन का आरोप है कि उनके गाने “उकसाने वाले” और “सरकारी छवि को धूमिल करने” वाले हैं। लेकिन समर्थकों का कहना है कि वे सिर्फ सच्चाई को बयां कर रही हैं।
नेहा की प्रतिक्रिया: एफआईआर को बताया ‘सम्मान’
नेहा सिंह राठौड़ ने एक वीडियो बयान में कहा:
“मेरे खिलाफ 400 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। मगर मैं डरी नहीं हूं, रुकी नहीं हूं। ये एफआईआर मेरे लिए पदक (मेडल) हैं। जब कोई सरकार जनता की आवाज़ को दबाने के लिए एफआईआर का सहारा लेती है, तो समझ लीजिए कि कलाकार की बात सच है।”
उन्होंने आगे कहा कि वे समाज की आवाज़ बनकर हमेशा अन्याय के खिलाफ बोलती रहेंगी, चाहे इसके लिए कितनी भी एफआईआर क्यों न हों।
सोशल मीडिया पर मिला जबरदस्त समर्थन
नेहा के इस बयान के बाद ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उनके पक्ष में समर्थन की लहर चल गई है। हैशटैग #ISupportNehaSinghRathore ट्रेंड कर रहा है। पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, और आम लोग खुलकर नेहा के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।
लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बहस
इस मामले ने एक बार फिर भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस छेड़ दी है। क्या कलाकारों को सामाजिक मुद्दों पर बोलने का हक है? क्या सरकार आलोचना को देशद्रोह या विद्रोह समझती है? ऐसे सवाल लगातार उठ रहे हैं।

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