उत्तराखंड में नौकरियों का नया दौर: 139 अभ्यर्थियों को नियुक्ति, योग्यता बनी चयन का आधार



देहरादून: उत्तराखंड राज्य में सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता, ईमानदारी और योग्यता को प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज एक और ऐतिहासिक कदम उठाया। मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक गरिमामय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत विभिन्न पदों पर चयनित 139 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए।

इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित 52 असिस्टेंट प्रोफेसर और चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से चयनित 87 अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत 18 प्रोफेसर, 36 एसोसिएट प्रोफेसर, नर्सिंग कॉलेजों में ट्यूटर और मेडिकल सोशल वर्कर के 33 पदों को भरा गया।

मुख्यमंत्री ने नियुक्ति प्राप्त करने वाले सभी युवाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “यह नियुक्ति केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक सेवा है। उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है, और इसके लिए आपको पूरी निष्ठा, ईमानदारी और समर्पण के साथ कार्य करना होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तराखंड में अब सरकारी नौकरियों का एकमात्र आधार योग्यता, प्रतिभा और क्षमता है। बीते साढ़े तीन वर्षों में उत्तराखंड में कुल 23,000 से अधिक युवाओं को पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से सरकारी सेवा में नियुक्त किया गया है। यह राज्य सरकार की नीतिगत पारदर्शिता और परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेपर लीक जैसी समस्याओं पर सख्त नियंत्रण करते हुए उन्हें जड़ से समाप्त किया गया है। अब प्रतियोगी परीक्षाएं निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से संपन्न की जा रही हैं, जिससे योग्य अभ्यर्थियों को उनका हक मिल रहा है।

अध्यापन: केवल शिक्षा नहीं, समाज निर्माण की नींव

मुख्यमंत्री धामी ने अध्यापन कार्य को समाज निर्माण की एक महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए कहा कि शिक्षक केवल छात्रों का भविष्य नहीं गढ़ते, बल्कि वे देश और समाज की नींव मजबूत करते हैं। उन्होंने सभी नवचयनित प्राध्यापकों से आग्रह किया कि वे न केवल शिक्षा प्रदान करें, बल्कि छात्रों में देशभक्ति, सामाजिक उत्तरदायित्व, और उद्यमिता की भावना भी जागृत करें।

राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य में ऐतिहासिक सुधार

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए व्यापक योजनाएं चलाई जा रही हैं। हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने, अस्पतालों का आधुनिकीकरण करने और आधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए देश में सबसे पहले उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति लागू की है। उच्च शिक्षा संस्थानों में आधारभूत ढांचे को सशक्त किया जा रहा है और गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुधार किए जा रहे हैं।

डॉ. धन सिंह रावत ने बताया – प्राध्यापक पदों की नियुक्ति में उत्तराखंड अग्रणी

कार्यक्रम में उच्च शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि राज्य में उच्च शिक्षा विभाग में फैकल्टी के सभी पद भरे जा चुके हैं, जिससे उत्तराखंड इस दिशा में देश का अग्रणी राज्य बन गया है। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में भी अब तक 70 प्रतिशत पद भर लिए गए हैं और आने वाले तीन महीनों में यह आंकड़ा 85 प्रतिशत को पार कर जाएगा। जल्द ही 400 एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति भी की जाएगी।

मुख्यमंत्री का आह्वान: सामूहिक प्रयासों से बनेगा श्रेष्ठ उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी नागरिकों से राज्य को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं को स्टार्टअप, नवाचार और उद्यमिता के लिए प्रेरित करने पर बल दिया। इसके लिए ‘देवभूमि उद्यमिता योजना’ के अंतर्गत सरकार द्वारा विशेष सहायता दी जा रही है। मेधावी छात्रों को मासिक छात्रवृत्ति और शोध को बढ़ावा देने के लिए 18 लाख रुपए तक का शोध अनुदान प्रदान किया जा रहा है।

उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल रहे:

कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी, विधायक श्री खजान दास एवं श्रीमती सविता कपूर, उच्च शिक्षा उन्नयन समिति के उपाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र भसीन एवं डॉ. जयपाल सिंह, सचिव उच्च शिक्षा डॉ. रंजीत सिन्हा तथा सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर. राजेश कुमार सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।


मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्रों का यह वितरण केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उत्तराखंड में शासन की नीतिगत पारदर्शिता, युवाओं के लिए अवसरों की बढ़ती संभावनाओं और एक विकसित उत्तराखंड के संकल्प का प्रतीक है। यह कार्यक्रम राज्य की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित हुआ है।

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